पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३२९

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सोलहवां अध्याय सफलता का रहस्य . साधारण पि और पुखियाला पुरुप हमारे इस प्रसुत युस की सफलता पर विश्वास नहीं कर सफता । परन्तु हम निश्चय सफलता प्राप्त करेंगे ऐसा हमें विश्वास है।इस सफलता में एक रहस्य है-एक गुरुमात्र है, या यों कहना चाहिये कि एक कुबो है जिस के विना विजय असम्भव है। इस अध्याय में हम एसी जी का जिफ फरेंगे जो बहुत ज्याम से समझने की वस्तु है। हमारा युर सरकार से है। प्रत्येक अच्छे पोया को यह बात सोच लेना परमावश्यक है कि अपना और शत्रु का बला पल क्या है । यह एक भीति की मर्यादा है। शत्रु के बलावन को देखने के लिये उनकी कितनी सेमा, कितमी युख सा मनी है, फितमा आयोजन और सैयारियां है यह सब जानने को-नीतिश लोग गुप्त दूत रखने तक की माला देते हैं । परम् हम शिख शक्ति सेना रहे है उसका बल हर्म पर प्रकट है