पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३३१

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( ३१२ ) श्रव इस में एक बात विचारने को है कि सरकार कोई प्रकट स्वेच्छाचार करने वाली सस्था नहीं है। अपने शस्रोको हाथ में रहते हुए भी अनियम से प्रयोग नहीं कर सकती। यही हमारे लिये सफलता का रहस्य है और इसी लिये हम अन्त में जीतेंगे भी।१।२७। और हनम्बरके हमारे कार्य ऐसे है कि सरकार इमारी इन चोटों को अपने तीनों में से किसी भी शरम से धम्द नहीं कर सकती है । ५ या और छठा प्रकार ऐसा है कि उसके लिये कुछ छल-पूर्ण कानून निकालकर रूपान्तर से कोई शस्त्र (बेल श्रादि) काम में लाया जासकता है । पर बहुत सी साधारण श्रीर यदि समझदारी से अपनी मार मारी गई तो कदापि सरकार उसे रोक नहीं सकती। अष रहे ३ रा और चौथा फाम, ये जोसिम पूर्ण हैं। लेकिन सरकार इन पर केवल प्रथम के दो शस्त्र चला सकती है। तीसरा शस्त्र हरगिज नहीं चला सकता, यदि पूर्ण सावधानी से हम अपना काम करें। यहाँ यह वाव ज्यान में रसमे योग्य है कि प्रथम के दोनों शस्त्र बहुत ही साधारण और छिछोरे हैं और उनके प्रति हमारा फेवल भय ही मय है। ये वास्तव में स्राने के खिलौने है, सो उक्त ३० औरथा मोर्चा-जमाते हो योनौ शस्त्र हम पर पड़ेगे, पर में विश्वास पूर्वक कहता है कि उमसे हमारो क्षति रवी मरन होगी। और सरकार शोध समझ लेगी कि ये शस्त्र पान तुम्छ और ध्यर्य है।