पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३३३

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1 ३१४ ) अपना माल कुर्क होने दोजिये । इसी तरह अापके पड़ोखो,गाँव के सब लोग करें। बन्के फुल देश के लोग करें। अब मजा श्रावेगा यहाँ कि अपने माप सरकार का यह शा टूट कर टुकड़े हो जायगा। फ्यों ? यह मी मुनिये। जेल भेजने का क्या अर्थ है। यही न, कि प्रापको श्रापके परिजन से अलग रफ्ना जाय-श्रापकी स्वच्छन्दता छीन ली आय-समाज से अलग कर दिया जाय । पर यह बात तब हो सकती है कि श्राप अकेले जेल जान। अर्थात जेल जाने योग्य कार्य थाप अकेले करें। पर यदि सब करेंगे तो सब हो जेल जायेंगे, वहीं घर घलेगा। सरकार की इतमी हैसियत नहीं है कि यह सबको रहने को पपके घर और मोजन दे। और मसरकार इतनी मूर्ख है कि वह ये अन्दाज म- हमानों को घर बुलाकर परात जोड़ेगी । निदाम वह जेल नहीं नेजा सकती । यही हाल फुर्की का होगा। अकेले भापकी कुर्की होगी तो पास-पडोसी खरीदेंगे । पर मव समी का माल कुर्क होगा और खरीदेगा कोई नहीं तवपा सरकार प्रापफे पाट पीड़े, रजाई, विधीने पोतड़े, चक्की सब जाकर अपने दफ्तर में रफ्लेगी। असम्भव है, सरकार मुह के बल गिरेगी-सफी हार होगी-यह किसी तरह इन हथियारों से हमें न बासकेगी। उदाहप्पा के लिये वारदौली जिले का मामला तामा है। किसानों ने लगाम देने से इन्कार कर दिया । सार कोसदार