पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३७

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1 1 २६ ) साम्राज्यवाद का त्याग न हो । विना येसा हुए भारत की अवस्या साम्राज्य में अधीनता की हो होगा और इस की लूट जारी रहेगी। ब्रिटिश साम्राज्य का आलिंगन प्रवरनाक क्योंकि यह प्रेम का नहीं है। ब्रिटिश साम्राज्य के दोप स सार की शांति को पी चर्चा है और राष्ट्रों ने समझौतों पर सही भी बनाई है। पर सो मो सेनाओं और शस्त्रास्त्रों में पृद्धि की जा रही है। शान्ति तभी होगी जब युव के कारण मिटाये जाये । जब तक एक देश दूसरे क्षेत्र पर आधिपत्य जमाये हुए है या एक श्रेणी वाले दूसरी श्रेणी पालो का दोहन करते हैं तब तक यर्तमान व्यवस्था को मिटाने के प्रयत्न होते हेंगे और शांति नहीं हो सकती । ब्रिटिश साम्राज्य इन्हीं के पक्ष में है और इसका आधार जनसाधारण का दोहम हैसी से हम स्प्रेच्छा का स्थान रसके भीतर नहीं पातं । उस प्राप्ति से कुछ लाम नहीं जिस से हमारे यहाँ के सा साधारण के ऊपर से प्रसनभार म टणे । बड़े मारो साम्राज्य का वोमा ढोया महीं जा सकता तो:मो हमारे देश- वासियों ने बहुफाल तक उसे बरदाश्त किया । अव उनकी पीठ मुक गई और उनका साहस प्राया म ग हो चुका है। तब इस भार के रहते हुए देयोंकर कामनवेल्थ के मेम्बर हो सकते 1