पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३८

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(२७ ) है। भारतीय राजाओं के स्वार्थ, ब्रिटिश अफसरों, ब्रिटिश और मारतोय पूजीपतियों तथाष जमींदारों के स्वार्य ग्रिटिश गवर्नमेंटके कारण हमारे भीतर घुसेड रमेगये है जो समको रक्षा के लिये चिल्लाइट मनाते हैं। जिन अभागे करोरोजमसाधाप्म को बाम्तथ में रक्षा को प्रावश्यकता हे घे म्क हैं और उनकी ओर से कहने वाले इमेगिने आदमी ही है। अब तक ब्रिटिश साम्राज्य पिसी भी रूप में भारत में बना रहेगा यह इन स्वार्यों को प्रोत्साहन देगा और मये स्यार्थ पड़ा करेगा जो समी हमारे मार्ग के कपटक होंगे । सरकार प्रापश्यकता यश दमन पर भरोसा करती है। इसके शासन का सिम्ह इस का मासूसी विमाग है जिसके साय घृणित पजेंट गोरम्दे पोर सरकारी गवाह बनने वाले अपपधा लोग भरे पड़े हैं। परी स्वतन्त्रता इम लोगों में पूर्ण स्वतन्त्रता और औपनिवेशिक शासन पर काफी बहस हो चुकी है। असली पात अधिकार प्राप्त करने की है उसे पाहे जो माम दे लो । मैं नहीं समझता कि किसी तरह के औपनिवेशिक शासन से हमें वास्तविक अधिकार मिलेंगे । इस अधिकार को परीक्षा सो पात से होगी फि भारत पर अधिकार रखने वाली फुल सेमा और फुल प्राधिक नियन्त्रया हटा लिये जायें । इसी से हमें अपनी सारी शकि 7! 7