पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/४९

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(३६ 1 दशा इस समय ऐसी अच्छी है जैसी असहयोग आन्दोलन के पाद की प्रति क्रिया के समय से अब तक कमी नहीं थी। लेकिन हमारी निवलताएं बहुत है और ये स्पष्ट हैं। पास कांग्रेस कमेटियों और उनके चुनावों के भीतर पारस्परिक मगड़े बड़े हो हमारो शक्ति का नाश करते हैं। अगर हम ऐसे ही छोटे २ झगडों में फंसे रहे तो मारी जड़ाई कैसे लट सकेंगी मुझे पूरो आशा है कि कार्य का कोई मजबूत प्रोग्राम सामने होने से हमारी द्रष्टि पदलेगी और हम यह व्यर्थ की लहान करेंगे। यह प्रोग्राम क्या हो सकता है। उसे निश्चय करने में हमारे प्रतिबन्ध है। हमारा विधान बाधक नहीं है क्योंकि उस से सो इच्छा होते ही हम बदल सकते हैं । पन्धन हो यस्तुस्थिति और अवस्थाओं के कारण है। हमारे विधान का पहला नियम यह है कि हमारे कार्य के दंग उचित और शांति पूर्ण होने चाहिये । उचित तो वे सदा ही रहेंगे, क्योंकि कोई ऐसा फाम फरके हम अपने पक्ष की हानि नहीं कर सफते जिस से हमारी प्रतिष्ठा में घटा लगे । घे शांति पूर्ण हो यह भी मैं पसन्द करू गा, फ्योकि शान्तिपूर्ण ढंग हिंसा की अपेक्षा अधिक याञ्छनीय और स्थायी होते हैं। हिंसा से तो बहुधा पीछे से प्रति क्रिया और मैसिफ सप्टता होती है और सास कर हमारे देश में वो इस के परिणाम स्वरूप छिन्न भिन्नता हो सकती है।यह विलकुल सही है कि आज ससार में सगठित