पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/५२

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1 ( ६ ) तक पहुँन सकसे ये । जय राष्ट्रीय लड़ाई पूरे जोरों पर होगी सब में नहीं समझ सफसा कि उस में जो लोग पाहे होंगे पे पोकर स्फलों या अदालतों में बने रह सकते हैं। सो मी सो समय स्कूलों और अदालतों के घायकाट की घोपणा करमा मेरी समझ से ठीक म होगा । कौसिलों के यायकाट पर पहले यहुत गरमागरम बहमें वो चुका है। और इस प्रश्न पर यह कांप्रेम मो दो भागों में विभक हो चुका है। हमें फिर यह थियाद न खरा करना चाहिये, क्योंकि अवस्या श्राज बिलाल हो मिन्न है। मैं समझता है कि कई वर्ष पहले कांग्रेस मे जो अपने प्रादमियों को कसिलों में जाने की इमामत दे दी यो पैसा करना अनिवार्य था। वैसा करने से कुछ लाम नहीं हुआ यह फहमे को मैं तय्यार नहीं। पर जा लाभ हो सफता था यह पूर्ण रूपसे हमने उठा लिया, पोर पूर्ण सहयोग और बायकार के बीच का फोई रास्ता नहीं रहा है। हम सद को मालूम है कि पे मकला व्यवस्था-समाए हमारे कार्यकर्ताओं में केसी भएता फेला चुकी हैं और हमारे कितने अच्छे भादमियों को सम की कमेटियां और कमीशन फन्दे में फसा लेते हैं। हमारे कार्यकर्ताओं की सख्या परिमित है मोर कोई सार्वजनिक प्रावोलम, हम महीं कर सकते अब सक समी कार्यकर्ता उसमें म जुट जाय और कौसिक्षों की इमारतों की भोर से पोठ म फेरखेअगर हम स्पसान्त्रता की घोषणा