पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/६५

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( २ ) मायावाद, अर्थशास्त्र और पशुषल के आधार पर पोरापने प्रत्येक वीर को, प्रत्येक ममस्वी को प्रत्येक माता- धादि को मोह फर गुलाम बना लिया था। परन्तु यह दुर्गम शरीर, मलिन प्रमा, चिन्तित मस्तिष्क, व्यथित हृदय, भाषित्र मन, किन्तु प्रस्नर तेज, प्रदीप्त चैतम्य पुखि, अद्भुत क्षमा, अपूर्व प्रास्म विश्वास, भीषण साहस, अमौफिक सत्य और अप्रतिम निभयता की सत्ता से रक्षित पुरुप-३२ कोट नर नारिपा से परिपूर्ण भारत को गत १० वर्षों से स चालित कर रहा है। साधारण दृष्टि वाले मनुष्य यह कदाचित म समझ सकेगे कि गत वर्षों में इस महान साधु मे देश को कितना मप्र सर किया है, बहुत मनुष्य यह कह सकते हैं कि महात्मा गाम्मो पेश को आगे बढ़ाने में निवास असफल रहे हैं। परन्तु इस धैर्यवान पोखा ने देश की राजनैतिक प्रकाधा को अमेजो की राजमैतिक एल पूर्ण स्वेच्छाचारिता के सम्मुख इसनी स्पए जितनी कि यह आज है, वमा दिया है। मह गान्धी से प्रथम देश ब्रिटेन की सत्ता के सम्मुख विनय था श्राम घह पूण स्वाधीनता का अधिकार प्रकट रहा है जहाँ स्वराज्य शन्द मुख से निकालने का सा. प्रवल से प्रपन राजनीतिम को भी नहीं हो सकता था यहाँ देश भर के कण्ठ से पूर्ण स्वाधीनता का राग सुनाई ठे रहा 1

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