पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( 42 ) मायायाद, अर्थशास्त्र और पशुवल के आधार पर योराप ने प्रत्येक वीर को, प्रत्येक मनस्वी को प्रत्येक प्रात्म वादि को मोह फर गुलाम बना लिया था। परन्तु यह दुर्गत शरीर, मलिन प्रमा, चिन्तित मस्तिष्क, व्यथित हृदय, भावित मम, किन्तु प्रस्नर सेज, प्रदीप्त चतन्य बुद्धि, अदभुत क्षमा, अपर श्रात्म विश्वास, भीषण साहस, अबौफिक सत्य और अपटिम निभयवा की सत्ता से रक्षित पुरुष-३२ करोड मर मारियो से परिपूर्ण भारत को गत १० वर्षों से स चालित कर रहा है। साधारण दृष्टि पाले मनुष्य यह कदाधित म समक सफेगे फि गत वर्षों में इस महाम साधु ने देश को फितना मन सर किया है, बहुस मनुष्य यह कह सकते है कि महात्मा गान्यो देश को आगे बढ़ाने में नितान्त असफल रहे हैं। परन्तु इस धैर्यवान योगाने पेश की राजनैतिक अकांक्षा फो अंग्रेज़ों की राजनैतिक टुल पूर्ण स्वेच्छाचारिता के सम्मुख इसनी स्पष्ट जितनी कि पद प्राज है, ममा दिया है। महात्मा गान्धी से प्रथम देश ब्रिटेन की सत्ता के सम्मुन विभय मिसारी था आज वह पूर्ण स्वाधोनता का अधिकार प्रकट कर रहा है जहाँ स्वराज्य शम्द मुख से निकालने का साहस प्रवल से प्रबल राजनीति को भी नहीं हो सकता था यहाँ देश भर के कण्ठ से पूर्ण स्वाधीनता का राग सुनाई दे.