पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/६८

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( 44 ) होने पर है। महात्मा गान्धी ने देश को झाप्रत किया है उसे महा किया है। और उसे मिथुक से अधिकार का हकदार बनाया है, देश में आज कमी तो है, पर यह वह देश नहीं है अब अप्रेजो के भारत में पदार्पण करने के समय था। उस समय देश में राष्टीयता का समाय या माज यह पैदा हो परन्तु महात्मा गान्धो अकेले हैं, और देश उनके साथ नहीं है, विधारणीय बातमो यह है। लोग महात्मा गान्धी को एक सस्पानिए पुरुष मानते हैं, उनकी पूजा करते हैं, उन की नीति को आदर करते है पर उसे ये सर्वोपरि नीति नहीं मानसे थे महात्मा गान्धी को मीति को अपनी वर्तमान परस्थिति के लिये सुभीते को उपयोगी भीति मात्र मानते हैं। यह भी ये लोग जो उनके समर्थक और सायी है, परतु देश में ऐसे भी लोग हैं जो महात्मा गान्धी को पागल सनको मोर देश के 1 घातक वसाते हैं। पदि हम इस बात पर विचार करें कि सोसार फो वानिक शक्ति किस तेजी से बढ़ रही है, तो हमें विमूद होना पड़ेगा ।जब संसार के घोर पच्चे आकाश में ३०० मोस प्रति घम्टेके हिसाब से कर मानवाय मस्तिक को उमत अवस्था का प्रकटीकरण फर रहे हैं वहाँ चुपचाप पर्धा कातमा मोर सदर बुनना हमारे देश