पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/९०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

I í Of ) उसको इतमा तो परना ही पाहिये कि यह ऐसा मार्ग पनादे जिस से कुछ निश्चित समय के अन्दर हिन्दुस्याम को श्रीपनि- घेशिफ स्वराज्य मिल जाय और इस विपय में किसी को कुछ मी शंका करने का भयसर म रह जाय । पुराने फहरो के सिपाय और कोई भी पह नहीं समझता फि हिन्दुस्थागा फो स्वगम्य दे राममा अमी बहुत वर्ष तक रोका जा सकता है और विचार शी हिन्दुस्थानियों में भी ऐसे लोग नहीं के बराबर होंगे जो पह सममते हों कि वीव में कुछ काम प्रगति के साथ बिताये ,पूर्ण स्वराज्य लेने का और मी कोई रास्ता है।" मि० मसफोर्ड मे श्रीसुभासचन्द्र बोस को हिन्दुस्थान काशीपेलेरा कह पर आगे कहा है कि, "इन के लिये सभी साधन उत्तम है और इन का लस्य मिश्चय ही स्वाधीनता है। जब एक बार फरबन्दी के रूप में गदर पारम हो जायगा पव हिन्दुस्थान के इस सय से उन्नत और लोकसंख्या में सब से बड़े प्रान्त मे हिंसायादी पक्ष सुठेगा, मागे बढ़ेगा और स्वराज्य संग्राम की नीति निर्धारित करेगा । इस लिये मजूर गयर्नमेंट को चाहिये कि अभी से ऐसा पस्सा थमा दे कि एक मिश्रित अवधि के अन्दर हिन्दुस्थान को स्वराज्य मित जाप । मीर यह काम प्रटिश गवर्नमेंट को माररेट मेसानों के मुह बन्द होने और उनकी सास मट होने के पूर्व करना चाहिये।" परन्तु पदि दोमो परस्पर विरोधी पक्ष समीति 1 1