पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/९१

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1 1 { stereo) का चलाया जाना असमव करदे, सो मि० मेसफोर्ड कहते है कि, मजूरदल को हिन्दुस्थान का शासन करना छोड़ देना चाहिये । हमारा पह काम नहीं कि हिन्दुस्थान के विषय हम अन्य पार्टियों से मेल करें और हिन्दुस्थान का दमन करें। ऐसा करना मजुर संगठम को ही तोड़ डालना है। 1 गत ४ जनवरी को मजूरवलकी एक सभा में व्याख्यान देठे, हुए भारत के उपसचिव अर्ल रसेल मे हिन्दुस्थान के सम्बन्ध नमें कहा, "और लोग इतना क्या जानेंगे जितमा स्वय हिन्दु । स्थानी ही इस बात को जानते हैं कि पूर्ण स्वाधीनता की बात "कितनी मूआता पूर्ण है। औपनिवेशिक स्वराज्य भी ममी नहीं मिल सकता और उसके मिलने में अभी बहुत समय है। ग्रेट ब्रिटेन हिन्दुस्थाम को प्रजा सत्तात्मक राज्य की ओर से आरहा है, बीच में ही वि एका एका इसे बह छोड़ दे तो हिन्दुस्थान की धरी दुर्गति होगी। ऐसे मूता-पूर्ण प्रस्तावों या अन्य प्रकार के प्रागैंडा से मजदूर धल-अपने लक्ष्य की मोर जाना महीं छोड़ देगा । हम लोग जो यह कहते हैं कि हिन्दुस्थान में स्थराज्य ही हमारा लक्ष्य है इस में फोई धोखा 'धड़ी नहीं है, यह पूर्ण प्रामाणिक पचन है। इसी के लिये हम लोग यलवान ६ पर इन मूर्माता पूर्ण प्रस्तापों से जिन से 'हिन्दुस्थान के समी. ब्रिटिश मित्रों को दुल हुआ है, हमारा मार्गरुद्ध होता।" 1