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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/१०७

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गोरिंग्
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जो जर्मनी को पुनः वैभव के शिखर पर पहुँचा सकता है।" तब से ही गोरिंग् हिटलर का दाहिना हाथ बना हुआ है। म्युनिख़ मे, सन् १९२३ मे, पुलिस-घेरे के विरुद्ध हिटलर ने क़दम बढ़ाया। पुलिस ने गोली चलाई। एक गोली गोरिग् के भी लगी। हिटलर को सरकार ने जेल में भेज दिया। गोरिग् को आस्ट्रेलिया भेज दिया गया।

सन् १९२६ मे राजबंदियों को मुक्त किया गया। हिटलर भी छोड़ दिया गया। सन् १९२७ मे गोरिग् फिर जर्मनी आगया और नात्सी तूफानी फौज (Storm Troops) का संगठन किया। सन् १९२८ मे राइख़ताग का सदस्य चुना गया तथा उसका अध्यक्ष बनाया गया। १९३१ ई० मे पहली पत्नी के मर जाने पर, १९३५ ई० मे, ऐमी सोनमैन नामक नटी से विवाह किया। सन् १९३३ मे गोरिग् प्रधान मंत्री तथा स्वदेश विभाग का मंत्री नियुक्त किया गया। इस पद पर नियुक्त होते ही उसने अपने विरोधियो, नात्सी-दल के विरोधियो, साम्यवादियो तथा यहूदियो को सार्वजनिक वध कराया। सारे देश में नात्सी दल का प्रभुत्व स्थापित कर दिया। २७ फ़रवरी १९३३ को राइख़ताग के अग्नि-काण्ड मे गोरिंग् का भी हाथ था। इसके बाद वह जनरल तथा हवाई सेना-विभाग का मंत्री बनाया गया।


उसने थोड़े ही समय मे शक्तिशाली हवाई सेना का संगठन कर दिखाया। इसके बाद वह चातुर्वर्षीय योजना का कमिश्नर नियुक्त किया गया। यह योजना बनाई गई कि चार वर्षों में जर्मनी के उद्योग-धन्धे इतने उन्नत होजायॅ कि वह स्वाश्रयी बन जाय। इससे डा० शाख्त का प्रभाव घट गया। डा० शाख्त अर्थमंत्री थे। फरवरी १९३८ मे गोरिग् को फ़ील्ड मार्शल का पद मिला। १९३८ मे जर्मनी से यहूदियो का निष्कासन कराने में गोरिग् का बहुत हाथ था।