दलों की विद्यमानता ज़रूरी है। जिस देश में केवल एक ही राजनीतिक
दल हो उसमे जनतंत्र का विकास नही हो सकता। जनतंत्र में व्यक्तियो की
नागरिक स्वाधीनता, नागरिक समता, सामूहिक रूप से उन्नति तथा सबका
सुख निहित है। यही कारण है कि प्रजातंत्र में व्यक्तिगत स्वाधीनता, जीवन-रक्षा की स्वाधीनता, विचार-स्वाधीनता, मत-प्रकाशन की स्वाधीनता, समाचार-पत्रो की स्वाधीनता, सभा-सम्मेलन करने की स्वाधीनता, आर्थिक,
धार्मिक, राजनीतिक तथा सामाजिक और व्यावसायिक स्वाधीनता शामिल
हैं। इस समय संयुक्त राज्य अमरीका, ब्रिटेन और ब्रिटिश उपनिवेशो तथा
स्विट्जरलैन्ड मे यह प्रणाली प्रचलित है।
जन-सेवक-समिति (सवेट्स आफ दि पीपुल्स सोसाइटी)--सन् १९२० में पंजाब-केसरी स्वर्गीय लाला लाजपतराय ने लाहौर में तिलक राजनीति विद्यालय (तिलक स्कूल आफ् पालिटिक्स) की स्थापना की थी। उसके बाद ही लालाजी ने जन-सेवक-समिति की वहाँ स्थापना की। समिति का मुख्य उद्देश्य है राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा-सबधी क्षेत्रो मे, मातृभूमि की सेवा के लिए, लगनशील और शिक्षित देश-सेवी प्रस्तुत करना। इसके प्रत्येक सदस्य को यह प्रतिज्ञा करनी पड़ती है कि वह कम-से-कम २० वर्ष तक संस्था की सेवा करेगा और उसके उद्देश्यों को सफल बनाने का पूर्ण प्रयत्न करेगा। वह कोई ऐसा कार्य नहीं करेगा जो संस्था के उद्देश्यों के प्रतिकूल हो। इस संस्था के सदस्य वही युवक बन सकते हैं जो किसी विश्वविद्यालय अथवा राष्ट्रीय शिक्षा-संस्था के ग्रेजुएट, स्नातक या उतनी योग्यता रखते हो। लाला लाजपतराय इस संस्था के प्रथम संस्थापक-प्रधान थे। प्रति तीसरे वर्ष प्रधान का चुनाव होता है। समिति का संचालन एक कार्यकारिणी समिति के हाथ में है, जिसमें सिर्फ संस्था के सदस्य ही होते हैं, जिनका प्रतिवर्ष चुनाव किया जाता है। संस्था के सदस्यो को ५०) से १००) मासिक तक वृत्ति दी जाती है। बच्चों के लिए तथा घरभाडा अलग मिलता है। समिति के इस समय १४ सदस्य हैं। माननीय बाबू पुरुषोत्तमदास टंडन समिति के प्रधान है।
जमनालाल बजाज, सेठ--गान्धीवादी कांग्रेसी नेता। जन्म सन्
१८८६, जयपुर राज। सेठ जमनालाल बजाज भारत के प्रसिद्ध मारवाडी व्यव-