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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/२००

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फ्रांस
 


की स्थापना हुई, १९४० तक, जब फ्रान्स जर्मनी से हारा, इन ७० वर्षो में फ्रान्स मे १०८ सरकारे बनी। चेम्बर का अन्तिम चुनाव १९३६ में हुआ था, जिसके ६१८ सदस्य (डिपुटी) थे। इनमें मोशलिस्ट, कम्युनिस्ट, रेडिकल, फासिस्त, दक्षिणपन्थी ग्रादि अनेक दल थे। मीनेट के ३१४ सदस्यों में १५१ रैडिकल थे, और इस दल मे भी छोटे-छोटे दल थे, लेकिन मीनेट का यह सबसे जबरदस्त दल था।

योरपीय महाद्वीप मे फ्रान्स का अपना स्थान था, और विगत विश्वयुद्ध के बाद तो उसे और भी महत्ता प्राप्त होगई थी। पूर्वीय योरप में उनका प्रभाव बढ चला था और ब्रिटेन उसकी मित्रता का आश्रित था। जर्मनी मे; हिटलर के प्रादुर्भाव के समय, फ्रान्स अपने आन्तरिक झंझटो के कारण सतर्कतापूर्वक कुछ न कर सका। १९३६ में समाजवादी, साम्यवादी और क्रान्तिवादी सदस्यों ने सार्वजनिक-मोर्चा-सरकार समाजवादी-नेता, मो० लियोन ब्लम, के नेतृत्व में कायम की। ब्लम ने अपने प्रधान-मन्त्रि-काल में शस्त्रास्त्र-उद्योग का राष्ट्रीयकरण, ४० घटे का हफ्ता, आदि कई सुधार किए। किन्तु यह दल अधिक दिन अपनी सरकार कायम न रख सका। आर्थिक कठिनाइयॉ, स्पेनी-गृहयुद्ध मे प्रजातन्त्रवादियो को यथेष्ट सहायता का न पहुँचाया जा सकना--कई कारण हुए। ब्लम के बाद दलादिये-सरकार बनी। किन्तु दलादिये दक़ियानूसी रहा। उसने ब्लम द्वारा किये गये सामाजिक सुधारों को रद कर दिया। दलादिये के साथी राजनीतिज्ञ-बोनेत, फ्लेन्दिन और लावल--नात्सी-फासिस्त झुकाव के निकल गये। दलादिये म्युनिख समझौते मे फ्रान्स की ओर से शामिल हुआ और इस प्रकार उसने फ्रान्स के मित्र-राष्ट्र चेकोस्लोवाकिया के साथ विश्वासघात किया। फ्रान्स की राजनीतिक महत्ता, इसके बाद, योरप में गिरती गई। इटली ने फ्रान्स से कोरसिका, नाइस, सेवोइ, ट्यूनिस और जिबूटी मॉगने शुरू किये और नात्सी प्रचारक फ्रान्स को पतित और मृतप्राय राष्ट्र कहने लग गये। प्राकृतिक रूप से भी फ्रान्स का ह्रास होने लगा था। पिछले ४० वर्षों मे फ्रान्स की जन्म-सख्या बहुत गिर चुकी थी।

१९३९ के सितम्बर मे, वर्तमान विश्वयुद्ध के आरम्भ होने पर, फ्रान्स ने