पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३८१

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हैं, जिनके अपने उद्देश है, जैसे अराजक्रताबाद ( अनारविजिम )व्र संघवाद सिडोकेलिज्म ), सास्कारेतावाद ( कोकापरेटिविज्य ) और ईसाई ( कैथलिक समाजवाद ( क्रिश्चियन सोशलिड़म संसार में रूसी सोवियत संघ ही सपूर्ण रूप से समाजवादी देश है । मेक्सिको मे भी समाजवाद का प्रसार हुआ है । अन्य देशो में समाजवाद का व्यवहार तो आरम्भ नहीं हुआ विज जनता पुकारने लगी है कि राष्ट्रीय सम्पत्ति पर सरकार का आधिपत्य होना चाहिए सम्पूणोंनन्द, बी-सब-प्रान्तीय कांग्रेसी नेता, जन्म सन् १ ८९६ ई०; यी० एससी ० हैं एल ० टी०; डैली कालिज इन्दोर में अध्यापक और हूँगर कालिजियट हाईस्कूल बीकानेर में प्रिन्सिपल रहे । प्रथा के उपरान्त काशी से प्रकाशित 'मर्यादा' और काशी के'आजतिथा अँगरेजी दैनिक 'टुडे' का सम्पादन किया । सभी कांग्रेसी आन्दोलनों में भाग लिया और बार बार जेल गये । सत् १९२३-२६ तक कासी विद्यापीठ के अध्यापक । १ ९२४-२६ में प्रान्तीय धारा सभा के सदस्य और १ ९२५-२९ तक संयुक्त-प्रा-तीय कांग्रेस कमिटी के मंत्री रहे तथा १ ९३ ०-३ ६ में अ०-भा० काग्रेस कमिटी के सदस्य । सन् १ ९ ३ ४ में अखिल-भारतीय काग्रेस समाजवादी दल के अध्यक्ष । समाजवादी विचार-धारा के प्रचार मे अग्रगयय रहे । हिन्दी के प्रसिद्ध दार्शनिक और राजनीतिक लेखक । सन् १ ९३ ७ मे, र्प० प्यारेलाल शर्मा के त्यागपत्र देदेने के बाद, समाजवादी दल से त्यागपत्र देकर, पू० पी० कांग्रेसी मंत्रिन्मण्डल में शिवा- मंत्री नियुक्त हुए । आपने हर्षवर्धन, महदाजी सिंधिया, मिल की स्वाधीनता, चीन की स्वाधीनता, अशोक, अन्तर्राष्ट्रीय-विपाक समाजवाद, व्यक्ति और राज्य, दर्शन और जीवन, आदि कई पुस्तकें लिखी हैं । सन् १ ९४० में हिन्दी- साहित्य-सम्मेलन के सभापति निर्वाचित किये गये, किन्तु युद्ध-विरोधी- सत्याग्रह में जेल चले जाने के कारण सम्मेलन में सम्मिलित न होसके । आपकी रचनाओं पर 'मंगलाप्रसाद' और 'मुरारका' पारितोषक आपको प्रदान किये जाचुके हैं । 'भारत छोडो' प्रताव के बाद आप जेल मे हैं सर्वहारा-, शब्द का प्रयोग केवल श्रमिको के लिये किया जाता है, जो सम्पत्तिहीन हैं अर्थात् जो किसी सम्पत्ति या सम्पत्ति के साधनों के स्वामी