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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/३८४

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लय में एक प्रधान न्यायाधीश तथा ६ तक न्यायाधीश नियुक्त किये जा सकते हैं । सम्राकू भारतीय व्यवस्थापक मण्डल तया वाइसराय की प्रार्थना पर, इन न्यायाधीशों की सख्या में वृद्धि कर सकता है उ ख्यादूप्रधान न्यायाधीश सपा न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है तथा उन्हें सपरिघदृ सम्राटूद्वारा निर्धा- रित वेतन और भत्ता मिलता है । प्रत्येक न्यायाधीश को अपना पद ग्रहण करते समय राजभक्ति की शपथ लेनी पड़ती है । ६५ बर्ष की आयु के बाद उन्हें अवकाश ग्रहण करने की व्यवस्था कोराई है इस समय सीप-न्यायालय का प्रमुख भवन नई दहली में है । सर मौरिस प्यायर इसके प्रधान न्यायाधीश हैं । इनके अतिरिक्त दो न्यायाधीश हैं । श्रीएम" आर० जमकर तथा माननीय सर शाह मुहम्मद सुलेमान सर्वप्रथम न्या- याघीश नियुक्त किये गये । श्री जयक्रर प्रिवी कौसिल की न्याय-यति के सदस्य नियुक्त किए गये, इसलिये उन्होंने त्याग-पत्र गोया । माननीवसर शाह की मृत्यु होगई र सर शाह के स्थान पर सर मुहम्मद ज़फरुदृलाऱवों को न्यायाधीश ओर सर व्रजेन्द्रलाल मित्र को एडवोकेट-जनरल नियुक्त किया गया । सर मुहम्मद जफ़रुरुला पीछे चीन मैं भारतीय सरकार के एजेच्चट नियुक्त किये गये आर उनके स्थान पर माननीय सर श्रीनिवास वरदाचास्थिर नियुक्त हुए 1 सघीय न्यायालय का अधिकार-क्षेत्र दो भागों में विमल है; ( १ ) मौलिक अधिकारक्षेत्र (01‘1यु1ऱ181 स्थिराड़र्णायांश्र्वद्वा) और ( २ ) अपीलों को सुनने का अधिकार-देश । ऐसे मामले जो सध-राज्य या ब्रिटिश भारतीय प्रान्त था सध में शामिल देशी राज्य के बीच किती ऐसे प्रश्न के सम्बध मे होगे जिस पर काई कानूनी अधिकार या उसकी मात्रा निर्भर है, तो वे संघीय न्यायालय मे ही आरम्भ होगे त्तबीय न्यायालय को दो प्रकार की अपीलें सुनने का अधिकार है-म ब्रिटिश भारत के हाई-जोरों के निर्णयों की अपीलें, ( २ ) देशी रियासतों के हाईकोयें के निर्णयों की अपीलें ब्रिटिश हाईकोर्ट, के ऐसे निर्णयों की अपीले संघीय न्यायालय मे की जा जिनका त्तम्बन्ध शासन-विवान की धाराओं या उसके लिये सपरिषदृ ५द्वारा जारी किये गये किसी आँर्डर की व्यवस्था से हो और जिनके