पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/४२०

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सोशल डेमोक्रेट्स ४१५ सधि की और पोलैंड के बटवारे मे भी साथ दिया । योरप के साम्राज्यवादी- प्रचारको के अनुसार रूस ने वर्तमान युद्ध के प्रारम्भिक काल मे मित्र-दल के विरुद्ध जर्मनो को कूटनीतिक सहायता दी, जिसके बदले में जर्मनी ने पूर्वीय योरप मे, कुछ समय के लिये, रूस को स्वतन्त्र छोड़ दिया, फलतः रूस ने पोलैंड, रूमानिया और बाल्टिक देशो पर अधिकार प्राप्त कर लिया। १६४१ मे रूस-जर्मन-युद्ध छिडा । १६४० के मध्य-काल मे फ्रास का पतन होने पर रूस-जर्मनी को मित्रता वाह्यरूप से १६४१ तक कायम रही । जबकि जर्मनी ने बलकान-राष्ट्रसमूह को हडपा, तब रूस ने नासियो की निंदा की । इसके बाद पूर्वीय योरप के दोनो सीमान्तो पर सैन्य-सग्रह के कारण आपत्ति के. श्रासार दिखाई देने लगे और, २२ जून १९४१ को, विना किसी पूर्व सूचना के, हिट- लर ने सोवियत संघ पर आक्रमण कर दिया । १२ जुलाई १९४१ को मास्को मे बरतानिया और सोवियत के बीच एक समझौता हुआ कि दोनो राष्ट्र मिलकर नात्सी-जर्मनी का मुकाबला करेगे और अलग सधि नही करेंगे। जर्मन आक्रमण के बाद, स्तालिन की अध्यक्षता मे, पाँच सदस्यो की एक राष्ट्र-रक्षा समिति ( स्टेट डिफेन्स कमिटी) बनाई गई, जिसे शासन के समस्त अधिकार दे दिये गये । सितम्बर १६४१ मे ब्रिटेन, अमरीका और सोवियत के प्रतिनिधियो का एक सम्मेलन मास्को मे हुअा और बरतानिया और अम- रीका ने रूस को विपुल युद्ध-सामग्री भेजने का वचन दिया । नवम्बर १६४१ मे अमरीका ने रूस को १ करोड डालर का ऋण दिया। सोवियत रूस और उसके द्वारा समस्त विश्व मे साम्यवाद का प्रसार होने के सबध मे तीन विचार-धाराये हैं : (१) सोवियत रूस ने संसार-व्यापी कम्युनिज़्म का विचार त्यागकर परम्परागत रूसी राष्ट्रीय नीति को ग्रहणकर लिया है । ( २ ) संसार-व्यापी क्रांति का कार्य-क्रम क्षणिक रूप से स्थगित कर दिया गया है और उपयुक्त अवसर प्राप्त होते ही स्तालिन उसका अनु- सरण करेगा । (३) स्तालिन ऐसा नहीं करेगा, उसके स्थान पर रूस मे अधिक उग्र नीति की सरकार कायम होगी और वह, ट्रात्स्की द्वारा अनुमोदित, सारी दुनिया मे क्राति का आयोजन करेगी। सोशल डेमोक्रेट्स--हालेण्ड, स्विट्ज़रलेण्ड, डेनमार्क, स्वीडन, फिन-