पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/१००

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अनासागर के तालाब पर शाहजहाँ बादशह के बनवाये हुये संगममर के पन्छ क्रिङा ग्रिह अत्यन्त रम्य है ।इन्मे से एक जिणा हो गया है किन्तु शेश अछी स्तिथि मे है ।इन्मे तीन क्रिङाग्रिहोँमें पेह्ले ब्रितिश अधीकरि रेह्ते थे ।आजकल उनको पुर्व स्थिति मे रक्खा हैं। 'दरगाह ख्वाजह साहब' नामाक एक दुसरी ईमारत देख्ने योग्य हैं।इसमें मुइनौद्दिन चीश्ति नामक एक फकीर की कब्र हैं।१२३५ ई० के लगभग इस्क गदेहन्त हो गाया ।यहा प्रती वर्ष मुसल्मनी महीने रज्जब्में 'उरुस' होता है।दरगह मे अकबर और शहजहन मकी बन्नयी हुई मसजीद हैं।अकबर की बानाई हुई मसजीद में चित्तोउङ की लुट में मीला हुआ नगरा और पीतल के दीवट रखे है। अकबर ने अजमेर मे कीला बनवया ।कीला चौखुटा है और प्रत्येक कोने पर अशट कोनी वुज्र हैं।मरह्ठो के समय यही उस प्रान्त का मुख्य स्थान था। आजकल कीलेमें तहसील की कचह्री है।मुल ईमारत में बहुत सा रद्दोबदल करने के करन उसका रूप बिल्कुल पलट् गया है। शहर के आस पास का घेरा आजकल का ही हैं उसमे बने हुए फाट्क दिल्लि दर्वाजा म्दार दर्वजा उखी दरवाजा ,आगरा दर्वजा और त्रिपोलिया दर्वजा के नाम से प्रसिध है। आनासगर के पास ही सत्ररह्वीं शताब्दी मे जहाँगीर बाद्शह के समय बनवाया हुआ दौलत बाग है।उस्में बहुत से प्रचिन व्रिक्ष है।उस्पर आज कल मुनिसिपालीटि की देख्रेख है और शहर के लोगो की हवा खोरि का एक मुख्य स्थान बन गया है।व्यापार और उद्योग -धन्दा --अजमेर एक बहुत बङा स्टेशन् है।यहा पर अनएक प्रसीध आढ्तें है। उनका व्यापार आसपास के रियासतों से होता है।कुछकी शाखाये तो हिन्दुस्तान के मुख्य मुख्य शहरो मे भी है।१८६९ ई० से यहा म्युनीसीपैलिटी स्थापित हुइ।१९०२ ई० में इस्की आय १८३००० रू० थी। १८९१ और १८९२ में अकाल नीवार्णर्थ गरीबो से करये हुये काम में फाय सगर नामक तालाब बन जाने के करण गाँव को पनी की सूविधा बहुत हू गयी है।सिक्षा --उच्छ्सीक्षा के लिए मेयो कालेज और सरकरी आर्ट्स कालेज यहा की संस्थायें है।मेयो कालेज में राजाओं के लङके सीक्ष ग्रहङ करने हेतु जाते है। अजमेर मे काराग्रह और एक बङा औश्धलय है।राजपुताने में जो नो मुख्य शहर हहैम उनमेसे अजमेर का दुसरा नम्बर है।(१८८१ ई० के जनगणना से इस्कि आबदि बध्ति दीखयी देति है।आज्मेर और बीकानेर के अतिरिक्त सब शहरो की आबदि कम होते जाति है।इस करण अजमेर और बीकनेर की व्रिद्धि ध्यान मे रख्ने योग्य है।य्द्य्पि पैदाइशकि जन्म्सन्ख्या बध्ति हि जा रहि है ।ऐस अनुमान किया जाता है की अजमेर की जन्म सन्ख्या ४०प्रतिशत लोग अन्य राज्य से आये हुए वहिरागत हैं। इससे यह स्पशट है हकी अजमेर में वहिराग्यतो मै से ,संयुक्त प्रान्त के होते है।अजमेर मे प्रायह सब जातीर्याके लोग मिलेंगे। सब्दसे अधीक सन्ख्या 'शेख' जाति के मुसल्मनो की है।इस्के बाद ब्राह्म्ण,पठान,धिमर,महाजन,राजपुत,ईसाई,सय्यद,कायस्थ इत्यदि जातीयो कि सन्ख्या कमसे है।वाहरसे आनेवाले लोग प्रयाह सह्कुतुम्भ जते है।ईस्से सीध होता है की वह स्थयी रूप से रह्ने के लिये आते है।यहा तीन अस्पताल और एक नर्सिग ओसोसीयेशन है। कालेज,हाइस्कुल ,दो कन्याओं और बलकों की पाठशलये ,रैलवे टेक्नीकल् स्कुल इत्यदी अनेक शिक्षा के लिए स्ंस्थायें हैं। हिन्दु ,मुसल्मामन और ईसाइयों की अनेक अन्य सन्सथाये भि है।यहा से चार सामचार पत्र प्रकशित होते है। यहा अनेक कम्पनीयाँ हैं जिन्की शाखायें सारे राजपुताने और भारत के मुख्य मुख्य नगरो मै है। अजमेर जेलमें दरियाँ और कालिन बहुत अच्छि तय्यार होति है।यहा की चन्दन की क्ंघिया और मालाएं प्रसिध है।दो जिनिंग ,दो बर्फ के कारखाने ,और लोहे की ढ्लाइके काम के कार्खाने हैं। अजमेर शहर और उसके नाम की उत्पत्ति--क्नल ठाङ का कथन है कि पुष्करका अजपाल नामक एक चरवाहा चोउहान राजा वीसलदेव का पुरवज था।उसने यह शहर वासाया था और इस शहर का नाम इसके नाम पर पङा।