पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/२६

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दरायस पहली ज्कक्स्रोज और द्वितीय तथा तृथीय तथा श्रातरा श्राटॉज्कक़स्रीज है|

सायरस दि ग्रेट (नोशेरवॉ) इस गजा की धार्मिक कल्पनाओंका ज्ञान प्राप्त करनेके लिये जनोफनकी सायरोपीडिया नामक एतिहासिक श्रद्रुतकथा प्राचीन धार्मिक पुस्तक तथा बैबिलोन के शिला लेख आदि सामग्री हैं| सायरोपीड़ियाकि कथाएँ कल्पित हैं|इस कारण उसमें दी हुई बातों का विचार तारतम्य बुद्धिसे करना होगा|इन कथाओमे कई जगह उल्लेख है कि सायरस राजा जुइस,हिलिश्रास,जीश्र, हेस्टिश्रा आदि अनेक यूनानी देवताओंको प्रसन्न करनेके लिये या यझ किया करता था| हिरोडाटस और स्ट्रैबोने अपने अपने ग्रंथोमें इस प्रकार उल्लेख किया है कि ईरानी लोग सूर्य,चंद्र,पृथ्वी,अग्नि,जल,वायु श्रफ्रीडायटि नामक विवाह देवता, जुइस नामक आकाश देवता आदि की उपासना करते थे| इन दोनों विद्वानोको विधानोका मिलान करनेसे विदित होता है, कि जेनोफोन द्वारा उल्लिखित सायरसकी उपासना इरानी संस्कृतिका वर्णन 'छोटा श्रवेस्ता' नामक ग्रंथमें दिया हुआ है| इसके श्राराध्यदेवतासे शराहु श्राहुमज्द,मिश्र, अतर्ष (अग्नि)और अनहित निस्सन्देह भिन्न न थे| इनके अतिरिक्त सायरस जिन कुल देवताओंकी उपासना करता था, उनके बारेमे कहा गया है कि वे देवता मूलतः मृथलोकोंके प्रत थे और बादमें वही फ्रवषि नामके रज्ञा करने वाले देवता बन गये| इसके विपरीत सायरोपिडियामे लिखा है कि मरणोन्मुख सायरसने मृतयुके बाद अपने शरीरको दफन करने के लिये कहा था, जो जरतुष्ट प्रथाके बिलकुल विरुद्ध है| स्ट्रेबोने सायरसकी कब्रका जो वर्णन किया है, उससे उपरोक्त बातकी पुष्टि होती है| साथ ही पासागाड़ोमें पायी गयी सायरसकी कब्र उस वर्णन के अनुकूल ही है| परंतु हिरोडोटसने लिखा है, कि ईरानी लोग मृत शरीरोंको गिद्ध कुत्ते आदि जांवरोंके सांमने डालता है और पश्चात उनपर मोमका लेप करके उन्हें जमीनक अंदर गाड़ते है|

इसके उपरांत बबिलोनी लेखोंके बारेमे विचार करते समय सायरसकी उपासना संप्रदायके सम्बन्धमे दो शिलालेखों में उल्लेख मिलता है| इन दोनों उल्लेखोमे कहा गया है, कि बै बिलोन क्र के अंतिम राजा नवुनाइटने सुमेरु और अकंड़ नागरोंके मंदिरोंसे वहाँ के देवताओं का को उठाकर अपनी राजधानीमे पहुंचा दिया| सायरस मार्डक देवताका प्रिय भक्त था| इसलिये उसने फिर उसे जहाँका तहाँ रख दिया| ऊपर जिन मार्डक और उसके पुत्र नवुका जिक्र आया है, सायरसके विश्वानुसार वे श्रहुमज्द और उसके पुत्र श्रतषे (अग्नि) के ही दूसरे नाम थे, किंथु कुछ लोगोंके मतानुसार इस कथन मकु में कुछ भी तथ्य नहीं है| इन तीनों प्रकार की साधन सामग्रियोंमें यूनानी लेख अधिक विश्वसनीय है और उनके अनुसार सायरसकी उपासना पद्धति उत्तर अवस्तामे दृष्टीगोचर होनेवाले धर्मसे बहुत कुछ मिलति जुलती मालूम होता है| तथापि यह कहनेके लिये कि, सायरस जरतुष्टके नूतन संप्रदायका अनुयायी था, कुछ भी आधार नहीं है| सायरस शब्द का ठीक उच्चारण कुरूस है|

कंबायसि- इस राजाके धार्मिक विचारों को प्रगट करनेवाली सामग्री बहुत थांडी है| हीगेहोटसने का कम्बायसिस राजाके मतका उल्लेख करते हुए कहा है कि श्रामेसिसका शव दहन करनेसे अग्निकी पवित्रता कम होती है| इरानमे और श्रबेस्ता के मूलग्रंथ में शवके द्वाग अग्निको अर्पित करना एक अदम्य अपराध माना जाता है| याग्नपि सामान्यताः यह संभल जाना है कि कम्बायसिस पागल था, तथापि इसके सुविध्यान देवता 'नेइत' के देवालयके बारेमे कम्बायसिस द्वाग स्वीकृत नीति अत्यंत उदार तथा प्राचीन सायरस राजा के समानही थी| परंथु कम्बायसिसने एपिस देवताको प्रसन्न करनेके हेतु हुए बैलको मरवा डाला था| उसका यह कृत्य पागलपनकी एक बक्त थी|उससे उपासना मार्ग का कुछ भी सम्बन्ध ना था|

पहला दरायस-(दारा)इस गजाके धार्मिक विचारोंका ज्ञान प्राप्त करने के मुख्य साधन बैबिलोनि तथा आधुनिक 'मीलाए'भाषा और इस राजाके पुरानी ईरानी बाषा भाषाके शिलालेख है|इन शिलालेकों में दाराने कहा है कि श्रहुमज्द नाम के सर्वोत्तम देवता के कृपासे मुभे राज्य प्राप्त हुआ है और उस राज्य की सभी बाते श्रनृत(द्रोग) से उत्पन्न हुआ है| इस मतानुसार दागको यह शाक्ति प्राप्त हुई कि वह अपने को असत्यवादी नहीं सम्भलता था| अवेस्तामें व्यक्त किये हुये दृजसे उपर्युक्त द्रौगकी समानता है | सत्यिक मनुष्यके अनुसरण करने योग्य पथको सत्य पथ (त्याम)