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अफगानिस्तान
अफगानिस्तान
ज्ञानकोश(अ)३०८

करनेका भी उपरोक्त कारण ही बताया है। तथा प्रजाके नाम है। इस फरमानका सारांश ___इस बातका बड़ा भय था कि इनकी मृत्युसे निम्नलिखित है:-जिस तत्परता तथा सहानुभूति देशमें फिरसे बड़ी खलबली मच उठेगी, किन्तु | के साथ देशके प्रत्येक व्यक्ति तथा पदाधिकारीने सब शान्ति ही रही। जहीरशाहको 'अमीर ‘मानना स्वीकार किया है अमीरकी मृत्युके बाद तत्काल ही कौन्सिल इसके लिये वह हृदयसे अनुगृहीत है। उसे इस की एक श्रावश्यक बैठक की गई। पार्लियामेन्ट बातसे बड़ा सन्तोष है कि देशमें जागृति उत्पन्न के जितने स्थानीय सभासद थे वे सब तत्काल ही हो गई है और देश अपने सच्चे मित्र तथा सहायक एकत्रित किये गये। इस सभामें सेना विभागके को पहचान सकता है। उसे पूर्ण आशा है कि ईश्वर मन्त्री जनरलशाह महमुदने युवराज जहीरके | की कृपासे देशमें एकता रहेगी और उन्नतिके पथ राज्यारोहणके लिये प्रस्ताव किया । सायंकाल पर देश अग्रसर होता रहेगा। यद्यपि उसे अपने ४ बजे सर्व सम्मतिसे उसे 'अमीर' मोनना प्रति देशका असीम प्रेम देखकर पूर्ण सन्तोष है तो स्वीकार हुश्रा। तदन्तर प्रत्येक पदाधिकारी तथा भी उसकी परमात्मासे सच्चे हृदयसे यही प्रार्थना है कर्मचारीने राज्य तथा अमीरके प्रति सत्यनिष्ठ | कि उसे शक्ति तथा साहस दे कि जिस कार्यको रहनेकी शपथ ली। उसके पिताने श्रारम्भ किया था तथा जिसके .. गत इतिहास पर ध्यान देते हुए नादिरखाँ की कारण उसके प्राण तक गये उसी श्रादर्शका वह हत्याके समाचारसे देशमें अशान्ति तथा विद्रोह | पर्ण रूपसे पालन करने में समर्थ हो। की बड़ी प्रबल श्राशंका होने लगी थी। कुछका | अन्य राष्ट्रोके सम्बन्धमें भी उसने निम्नलिमत था कि कदाचित् पूर्व अमीर अमानुल्लाखों खित घोषणा की है:-जो नीति स्वराष्ट्र तथा परइटलीसे फिर स्वदेशको लौटे। कुछका मत था कि राष्टके विषयमें उसके पिता की थी उसीका पालन देशके भीतर ही कुछ गडबड उठ खडी होगी। पर्णरूपसे वह भी करेगा। जितने सन्धिपत्र किन्तु ये सब आशंका निर्मल रहीं। इस सबका प्रत्यादि उसके पिताके समयके है तथा जितने मुख्य कारण यही विदित होता है कि नादिरखाँ काल तकके लिये वे हैं, उनमें भी वह किसी प्रकार की हत्या चाहे एक दुष्टने भले ही कर डाली हो ।ह एक दुष्टन भले ही कर डाली हो | का कोई रद्दोबदल नहीं कर रहा है। देशके किन्तु वह बड़ा लोक प्रिय था, उसकी प्रजा उस प्रतिनिधियोंकी सम्मतिके आधार पर ही उसका पर विश्वास रखती थी। देशवासियोंका जो कार्यक्रम रहेगा। अगाध प्रेम उसके प्रति था वह तो यो हो प्रकट नादिरखाँ की मृत्युके बाद देशमे अशान्ति है। उसके शवके साथ लाखो श्रादमी गये. होने की बहुत कुछ-आशंका थी। कुछका तो मत बाजार इत्यादि सब बन्द हो गये तथा सबके हृदय था कि कदाचित् अपनी खोई हुई सत्ताको फिरसे से दुःखकी ध्वनि निकली पड़ती थी। उसकी प्राप्त करनेके लिये इटलीसे अमानुल्लाखाँ स्वदेशमें कब्र पर नित्य सहस्त्रों मनुष्य जियारत करने आते फिरसे पदार्पण करें। ऐसा होने पर एक बार हैं। देशवासियोंने इसे शहीद' मानना स्वीकार | फिर चारों ओर विद्रोहकी अग्नि भड़क उठती । किया है। पिताके गुणों पर मुग्ध प्रजा युवा देश उनको अपनानेके लिये तय्यार नहीं था। पत्र जहीरके प्रति भी वही सम्मान तथा प्रेमके कदाचित इन्हीं सब कारणों को विचार कर भाव रखती है। यही कारण है कि विना किसी अमानुल्ला खाँ ने अपना विचार स्थगित कर झगड़े फिसादके इतनी सरलतासे जहोर अमीर दिया हो। बन बैठा। राज्यके प्रत्येक भागसे नये अमीरके अतः जहीरखाँका ही अमीर होना देशके प्रति सत्यनिष्टा की शपथ लेनेके लिये सहस्त्रो लिये इस समय कदाचित् सबसे उपयुक्त था। मनुष्य नित्य चले आते हैं। देशके कोने कोनेने इसके गुणोंको देख कर पूर्ण श्राशा की जाती है इस युवाका अपना अमीर मानना स्वीकार किया कि देश इसके शासनमें अच्छी उन्नति करेगा। है। अपने मृत पिताकी भाँति इससे भी देश- शासन प्रणाली-अफगानिस्तान की शासन वासियोको बड़ी श्राशा है। प्रणाली आजकलके अधिकांश देशोसे भिन्न है। : इन सबके उत्तरमे नये अमीरने भी एक शाही यहाँ अमीरका ही निरंकुश शासन है और उसको फरमान निकाल दिया है जिससे इसक हृदयका सब विषयों में पूर्ण अधिकार है। इस देशके भी पता चलता है। अनेक भाग किये गये हैं। काबुल, तुर्किस्तान, ... यह फरमान राज्य के पदाधिकारी, कर्मचारी हेरात, कन्दहार तथा बदकशानमें अलग अलग