पृष्ठ:Gyan Kosh vol 1.pdf/३४२

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आफ्रीकामें हुआ था किन्तु दूसरे पक्ष क कथन हैं कि यह उत्पन्न तो पलेस्तैन में हुआ था किन्तु इसके माता पिता आफ्रिका के निवासी थे। इसके व्यक्तिगत विषयों में तो विशेष ज्ञान नही प्राप्त हो सका हैं; केवल इतना पता लगता हैं कि यह एमाँस नगर में रहता था। एमाँस नगर उजड गया था था। उसी को बसानेकए लिये यह शाहनशाह हेलियोगेवलस के पास गया था। शहनशाह ने इसकी प्रार्थाना स्वीकार करली। उसके बाद निकोपोलियस नामसे इन नगर की फिरसे उन्नति हुई। इस विषयों में निश्चय पूर्वक कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि इसका ध्हर्मिक संस्थाओसें भी कुछ सम्भन्ध था या नहीं । उसने संसार का एक इतिहास लिया हैं। उसने संसार की उत्पति हुई उस समयसे लेकर २२१ ई० तक का इतिहास लिखा हैं। उसके विचार से उस समय तक संसार को उत्पति हुए ५७२३ ही वर्ष हुए थे। आभग्यवश उसका लिखा हुआ इतिहास अब पुरा पुरा नहीं देख पडता किन्तु तौ भी उसका कुछ कुछ अंश अन्य अनेक लेखों में पाया जाता हैं । क्वछ क कथन हैं कि इसने और भी विज्ञान कृषि, सेना इत्यदि सम्बन्धी अनेक पुस्तक लीखी हैं किन्तु यदि यह सच हैं तो इसकी इन पुस्थकों तथा संसार के इतिहास में विरोध देख पडता हैं। जिन लोगों का यह मत हैं कि इसने अन्य विज्ञान सम्बन्धी पुस्तकें भी लेखी हैं उनका कथन हैं कि धार्मिक क्षेत्रोमें पदार्पण करनेके बहुत पूर्व इसने वे सब पुस्तकें लिख डाली थी। अफलातून-युनान क यह एक प्रसिद्द तत्वज्ञानो हो गया हैं। विशेष व्यौरेके लिये 'लेटो' के अन्तर्गत लेख देखिये। अफसर - इस गाँव का दूसरा नाम जफूरपुर हैं। यह विहार के गया जिले में नवडामुश्रो विभाग में एक छोटा सा देहात था। यह उत्तर श्रक्षांश २५'४' और पूर्व रिखांश ८५'४०' में स्थित हैं। यहाँ की जनसंख्या एक हज़ार से अधिक हैं। यहाँ पर गुप्त राजाश्रोंके समय के श्रवशेष मिलता रहे हैं। यहाँ बाराह अवतारकी एक अच्छा उदाहरण हैं। यहाँ पर एक शिलालेख मिला था जिसमें गुप्त राजाओं का वर्णन हैं। इसी भांति गुप्तराजाओंके समय क ज़मीन में गडा हुआ एक मंदिर भी मिला हैं। प्राचीन अवशेष होने की दृष्टि से इसको बडा महत्व दिया जा सकता हैं। कारीगरी की दृष्टि से तो इसकि गणना अत्यंत उछकोटिमें की जा सकती हैं। यह बुद्दगयोके प्रसिद्द मंदिर से कारिगरी तथा सुन्दरता में टक्कर मे सकत हैँ। इस गाँव क प्राचीन श्रवशेषों के कारण ही इतना महत्व हैं।