पृष्ठ:Hathras Case judgment.pdf/१५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

155

155 बयान में यह कथन किया है कि इस प्रकरण में मृत्युपूर्व बयान प्रदर्श क-15 मेरी देखरेख में दर्ज हुआ था, जो आज मेरे सामने मौजूद है। इस बयान में शुरू की तीन लाईनें काले पेन की लिखी हुई हैं, मेरे हस्तलेख में हैं तथा यह इस बात को दर्शाता है कि बयानकर्ता बयान देने के लिये होश में था। इस प्रमाण पत्र के बाद मैंने हस्ताक्षर किये थे, जिन्हें पूर्व में 'बी' बिन्दु से चिन्हित किया जा चुका है, की शिनाख्त करता हूँ। इसके उपरान्त मजिस्ट्रेट द्वारा पीडिता का मृत्युपूर्व बयान अपने हस्तलेख में दर्ज किया गया। इस कार्यवाही के बाद मैंने बयानकर्ता मरीज को देखकर दूसरा सर्टिफिकेट अंगूठे के निशान के नीचे बनाया, जिस पर मैंने यह लिखा कि बयान के दौरान पीडिता होश में थी। मेरे बाद वाले सर्टिफिकेशन और हस्ताक्षर काले पेन से मेरे हस्तलेख में लिखा हुआ है, जिसकी मैं शिनाख्त करता हूँ। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि दिनांक 14.09.2020 को डा० सायमा व डा० अरूण ने हिस्ट्री शीट में यह अंकित किया था कि मरीज या उसके परिजन ने यौन उत्पीडन के बारे में नहीं बताया था । दिनांक 22.09.2020 को मुझे यह नहीं लगा था कि पीडिता मरणासन्न अवस्था में है व उसकी मृत्यु हो सकती है। पीडिता का बयान जो मजिस्ट्रेट के हस्तलेख में लिखा हुआ है, उसकी लाईन स्पेसिंग के अन्तर के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू0 – 35 श्रीमती सीमा पाहूजा ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि मनीष कुमार अपने बयान दिनांकित 01.11.2020 में यह बताया था कि उसी समय एक सादे कागज पर बयान लिखने की जगह छोडकर ऊपर वाले हिस्से में डाक्टर साहब ने वैरीफिकेशन किया और बीच में काफी जगह छोडकर नीचे पीडिता के अंगूठे का निशान लगा लिया . . . . . यह कागज लेकर मैं, सी. एम. ओ. साहब की आफिस में चला गया । मेरी डायरी में मैंने विवरण लिखा था, उस हिसाब से आराम से बैठकर बयान को पूरा लिखा था। मैंने मृत्युपूर्व बयान मौके पर सील नहीं किया। मनीष कुमार ने अपने इसी बयान में यह भी बताया था कि बयान में पीडिता ने बलात्कार होने का जिक्र नहीं किया था, सिर्फ यह बताया था कि उसकी माँ ने बाद में बताया कि उसकी सलवार निकली हुई थी। यह सही है कि प्रदर्श क— 32 Internal medical examination व प्रदर्श क – 15 Dying declaration एक ही दिन तैयार किये गये हैं । भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 32 में यह उपबन्धित है कि वे दशाएं जिनमें उस व्यक्ति द्वारा सुसंगत तथ्य का किया गया कथन सुसंगत है, जो मर गया है या मिल नहीं सकता, इत्यादि- सुसंगत तथ्यों