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कपड़ों के सम्बन्ध में पूछताछ की थी क्योंकि घटना को कई दिन हो चुके थे कपड़े घुल चुके थे। इसके उपरान्त दिनाँक 23.09.2020 को मैं पुनः विवेचना के लिए बूलगढ़ी गाँव गया तथा पीड़िता के भाई सत्येन्द्र व उसकी माँ की निशानदेही पर घटनास्थल का मौका नक्शा बनवाया तथा घटनास्थल को उसमें दर्शाया। साईट प्लान पत्रावली पर प्रदर्श क-18 के रूप में मौजूद है। विवेचना के दौरान सामूहिक दुष्कर्म की बात सामने आने पर मैंने अपनी सी.डी. में सम्बन्धित धारा बढ़ाई तथा पीड़िता की मृत्यु होने पर 302 और 376A IPC बढ़ायी गयी। दिनाँक 28.09.2020 को अस्पताल में तैनात उपनिरीक्षक प्रमोद कुमार शर्मा द्वारा मुझे फोन पर सूचित कर बताया गया कि पीड़िता को बेहतर चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए दिल्‍ली रेफर कर दिया गया है। जब तक विवेचना मेरे पास रही उस दौरान मैने पुलिस अधीक्षक महोदय को कई पत्रों के माध्यम से विवेचना की प्रगति एवं विवेचना के सम्बन्ध में अग्रिम कार्यवाही एवं वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध कराने के आशय से पत्राचार किये। मेरे द्वारा सी.बी.आई. को अपने पत्र दिनाँकित 42.40.2020 जो पत्रावली पर कागज संख्या 9अ डी-4 के माध्यम से अभियुक्तगण द्वारा अलीगढ जेल में रहते हुये एस.पी. हाथरस के नाम लिखा हुआ पत्र सुपुर्द किया था जो पत्रावली पर कागज संख्या 40अ डी-5 के रूप में उपलब्ध है। इससे पहले की मैं इस पत्र के सम्बन्ध में विवेचना कर पाता विवेचना शासन द्वारा सी.बी.आई. को हस्तान्तर कर दी गयी। इस पत्र डी-4 कागज संख्या 9-अ एवं 40अ डी-5 पर आज संयुक्त प्रदर्श क-22 डाला गया।

पी०डब्लू0-8 ब्रह्म सिंह, क्षेत्राधिकारी सादाबाद ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि प्रस्तुत प्रकरण की विवेचना मुझे दिनांक 24.092020 को सादाबाद स्थानान्तरण होने के बाद प्राप्त हुई थी। प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 44.09.2020 को थाना चन्दपा में सुबह 0:30 पर दर्ज हुई थी। प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार घटना का समय 09:30 दर्ज है। प्रदर्श क-तहरीर में वादी ने केवल एक अभियुक्त को नामित किया है। प्रदर्श क- में यह भी अंकित है कि फिर मेरी बहन चिललाई तो मेरी माँ रामा ने आवाज दी कि मैं आ रही हूँ। सन्दीप आवाज सुनकर वहाँ से छोडकर भाग गया। तहरीर प्रदर्श क-के अनुसार वादी घटना का चक्षुदर्शी साक्षी नहीं है। यह सही है कि पीडिता के पिता के बयान दिनांक 46.09.2020 में भी केवल एक ही अभियुक्त को नामित किया गया है। प्रदर्श क-4 तहरीर में पीडिता के बेहोश होने का अथवा उसके होश में न होने के सम्बन्ध में कोई कथन नहीं है। मैंने, पीडिता का