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50 अस्पताल में ओ०पी०डी० कैजुअल्टी में दिनांक 14.09.2020 को 4:10 पी0एम0 पर आई थी तथा उसका कैजुअल्टी नम्बर सी - 46578 था, उसे न्यूरो सर्जरी यूनिट में मेरे व अन्य सहयोगी डॉक्टरों द्वारा उपचार दिया गया, जिनमें डॉ० रमन मोहन शर्मा, डॉ० तविश, डॉ० जफर कमाल अन्जुम एवं डॉ० सूरज थे, उसे इमर्जेन्सी सर्जीकल टीम में डॉ० सिरीन व डॉ० दिवान्शु द्वारा उपचार दिया गया। उस दौरान मरीज व उसके परिवारीजन द्वारा गला घोंटने के द्वारा चोट आने का कथन किया गया है। मरीज के परिजनों ने मरीज के बारे में बताया था, उसे बेहोशी हुई थी, गले में दर्द हुआ था। उसके लोअरलिम्ब में सुन्नपन था । उस समय न तो मरीज ने न उसके साथ आये परिजनों ने उसके यौन उत्पीड़न की बात बताई थी। जब मरीज लाई गयी थी उसका बी०पी० लो था, खून में आक्सीजन की मात्रा कम थी व पल्सरेट भी नार्मल नहीं था, परिवर्तित हो रहा था। जब पीडिता का हमने परीक्षण किया तब उसके गले पर स्ट्रेंगुलेशन के निशान थे तथा मरीज के हाथ में कमजोरी थी और पैर बिल्कुल नहीं चल रहे थे। स्तन से नीचे पूरा शरीर सुन्न था । मरीज की स्थिति का कारण स्पाइन इन्जरी था। उस दौरान उसकी आँखों में लालपन होने के कारण नेत्र विशेषज्ञ को बुलाकर दिखाया गया था तथा आँखों के डॉक्टर डा० बजाहत एवं डॉ० फायजा द्वारा उपचार के बाद आँखों की रोशनी सही पायी गयी । आँखों में कन्जेक्टीवाइल हेमरेज के कारण आँखों में लालिमा होना पाया गया, जो स्ट्रेंगुलेशन के कारण सम्भव है। ई0एन0टी0 टीम द्वारा उसी दिन मरीज का परीक्षण किया गया, जो डॉक्टर डॉ० नैंसी, जो डॉक्टर एस०सी०शर्मा व डॉ० अफताफ के अधीनस्थ काम करती हैं, ने परीक्षण किया और उन्होंने गले की चोट का विवरण लिगेचर मार्क 5x2 से०मी० बॉयी ओर तथा दॉयी ओर 10x3 का लिगेचर मार्क, जो जबडे की हड्डी से 5-6 से०मी० नीचे था तथा मरीज के जीभ के अगले हिस्से में दॉत से आये चोट के निशान थे। जीभ कटी या फटी हुई नहीं थी। मरीज को अस्पताल में इमरजेन्सी उपचार की सुविधा प्रदान की गयी। उसे फिल्यूड, एन्टी वोयोटिक, स्टेराइड, ऑक्सीज एवं सर्वाइकल कॉलर तथा अन्य सम्बन्धित आवश्यक उपचार दिया गया तथा उसी समय मरीज को पेशाब के लिये कैथराइज किया गया । पीडिता का एक्सरे एवं सी०टी० स्कैन किया गया तो उसके गले में सर्वाइकल लेबिल सी - 5, सी - 6 लेबिल पर फैक्चर पाया गया तथा सी–5 व सी – 6 हड्डी एक दूसरे के ऊपर खिसकी हुई पाई गयी। जॉच में यह बात भी सामने आयी कि स्पाइन कोड में खून के थक्के जमें हुए थे। दिनांक 21.09.2020 को मरीज की स्थिति को देखते हुए, उसे हाई