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समय पहने कपडे पुलिस को देने से पहले हमने धो दिये थे और उसे दूसरे कपडे (सिर्फ पैजामी) पहना दिये थे। मैंने अपने देवर भूरी सिंह व बन्टू उर्फ बनवारी को कभी यह नहीं बताया कि मेरी बेटी पीडिता घटना के दिनांक को मुझे खेतों में बिना कपडों के मिली थी। मैंने सी0बी0आई0 विवेचक को अपने बयान दिनांकित 17.10.2020 अन्तर्गत धारा 161 दं0प्र0सं0 में यह कहा था कि मुझे शक हुआ कि कहीं उसे सॉप ने तो नहीं काट लिया। छोटू के कहने पर जब मैंने गौर किया कि उसकी जीभ में चोट लगी है तो मैंने अन्दाजा लगाया कि कहीं उसे सॉप ने तो नहीं काट लिया इसलिए मैंने यह बात सी0बी0आई0 विवेचक को बतायी थी। मेरे घर में केवल एक ही मोबाईल फोन है। उस दौरान हम सभी परिवार वाले जैसे मेरे पति, मेरा बेटा सतेन्द्र, मेरी बेटी पीडिता और मेरी बहू आदि सब उसी फोन का प्रयोग किया करते थे। मेरे घर के फोन से मेरी बेटी अभियुक्त सन्दीप से बात नहीं किया करती थी। मेरे घर का कोई सदस्य उस फोन से अभियुक्त सन्दीप से उसके फोन नम्बर 761864 0133 पर बात नहीं किया करते थे। मेरे घर के बराबर में संजय चौहान का घर है, वह मेरा पडोसी है। संजय चौहान के लडके नाम विश्वनाथ है। जब मेरी पुत्री का बयान विवेचक ब्रहम सिंह द्वारा लिया गया तो उस दौरान मैं वहाँ मौजूद थी। मैं अपनी पुत्री को जे०एन० एम०सी० में भर्ती कराने के बाद लगभग 08-9 दिन तक उसके साथ रही। जब उसे वेन्टीलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया तो मैं गाँव वापस आ गयी थी। मुझे नहीं मालूम कि मंजू दिलेर अस्पताल में मेरी बेटी से मिलने आयी थी या नहीं। चन्द्रशेखर का मैंने नाम सुना था पर वह मेरे सामने मेरी बेटी से मिलने नहीं आया था। यह बात सही है कि मेरे पति घटना वाले दिन से थाने से लेकर अस्पतालों तक मेरे साथ थे। हम दोनों लगातार घटना वाले दिन से पीडिता को वेन्टीलेटर पर शिफ्ट करने तक पीडिता के साथ अस्पताल में रहे थे और इस दौरान मेरे पति जे०एन० एम०सी० अलीगढ से बूलगढी वापस नहीं आये थे। यह कहना गलत है कि मेरी पुत्री पीडिता के साथ अभियुक्त सन्दीप के प्रेम सम्बन्ध रहे हों और हमें उस प्रेम सम्बन्ध से आपत्ति थी। यह कहना भी गलत है कि हमने पीडिता के साथ प्रेम सम्बन्धों से कू होकर दिनांक 14.09. 2020 को हाथापाई की हो, जिससे वह चोटिल हुई और उन्हीं चोटों के कारण उसकी मृत्यु हुई। यह कहना भी गलत है कि इस प्रकरण में सरकार द्वारा मिलने वाले मुआवजे के लालच में हमने झूठा मुकदमा दर्ज कराकर उसकी गम्भीरता को बढाते हुये पहले मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया फिर उसे छेडछाड का मुकदमा बताया, फिर सुविधानुसार उसे बलात्कार