पृष्ठ:Hathras Case judgment.pdf/७४

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74 कि पीड़िता का मजिस्ट्रेट के द्वारा मृत्यु पूर्व बयान अंकित किये जाने की व्यवस्था की जाये जिसे दिनांक 22.09.2020 को डा० एहतेशाम द्वारा प्रभारी सी.एम.ओ. के तौर पर स्वीकृति प्रदान की । यह पत्र पत्रावली में डी. -3 में कागज संख्या 8अ /138 के रूप में मौजूद है, जो छायाप्रति है और डा० उवेद, सी.एम.ओ. द्वारा अपने मोहर व हस्ताक्षर से सत्यापित है। मैं, डा० एम.एफ. हुदा, डा० एहतेशाम एवं डा० उवेद के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं जिन्हें आज क्रमशः 'ए', 'बी' और 'सी' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया । उपरोक्त पत्र को विभागीय कार्यवाही के तहत आगे अग्रसारित कर दिया गया । उपरोक्त पत्र के बाद एक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार, पीड़िता का मृत्यु पूर्व बयान लिखने के लिये अस्पताल आये। मैंने इससे पूर्व अन्य प्रकरणों में तीन मृत्यु पूर्व बयान लिखवाने की कार्यवाही में सहभागिता की थी । नियमतः मजिस्ट्रेट की उपलब्धता के लिये एस.डी.एम. / एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को पत्र लिखा जाता है तथा वहां से मजिस्ट्रेट को नामित किया जाता है तथा नामित मजिस्ट्रेट के अस्पताल आने पर वह सी.एम.ओ. ऑफिस में डायरी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर आगे की कार्यवाही करते हैं। इस क्रम में नामित डाक्टर जो कि ऑन ड्यूटी सी.एम.ओ. होते हैं, मजिस्ट्रेट को मरीज के पास ले जाते हैं तथा मजिस्ट्रेट के सामने मरीज से कुछ सवाल पूछते हैं और उनके जवाब पर तय करते हैं कि मरीज होश में है तथा बयान लिखवाने की स्थिति में है। मरीज की स्थिति के बारे में सुनिश्चित होने पर हम स्थिति को प्रमाणित करते हुये हस्ताक्षर करके मजिस्ट्रेट को बयान दर्ज करने के लिये पीड़िता के पास छोड़कर हम थोड़ा पीछे हो जाते हैं ताकि मजिस्ट्रेट स्वेच्छा से दिये गये बयान को दर्ज कर सके। महिला मरीज के बयान लिखे जाने की स्थिति में हम किसी लेडीज स्टॉफ / नर्स को पास छोड़ देते हैं । मजिस्ट्रेट द्वारा बयान लिखे जाने के दौरान हम दूर खड़े होकर मरीज को देखते रहते हैं कि वह होश में तो है और बेहोश तो नहीं हो रही है। इस प्रकरण में भी मृत्यु पूर्व बयान प्रदर्श क - 15 मेरे देखरेख में दर्ज हुआ था। इस प्रकरण में दर्ज हुआ मृत्यु पूर्व बयान आज मेरे सामने मौजूद है। इस बयान में शुरू की तीन लाइनें जो काले पेन से लिखी हुई हैं, मेरे हस्तलेख में है तथा यह इस बात को दर्शाता है कि बयानकर्ता बयान देने के लिये होश में थी । इस प्रमाण पत्र के बाद मैंने हस्ताक्षर किये थे, जिन्हें पूर्व में 'बी' बिन्दु से चिन्हित किया जा चुका है, की शिनाख्त करता हूं। इसके उपरान्त मजिस्ट्रेट द्वारा पीड़िता / बयानकर्ता का मृत्यु पूर्व बयान मजिस्ट्रेट द्वारा अपने हस्तलेख में दर्ज किया गया। मैंने मजिस्ट्रेट को लिखते हुये नहीं देखा था । वह डायरी की ओट में लिख रहे थे