पृष्ठ:Hathras Case judgment.pdf/७५

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34. 75 तथा डायरी से बयान को छिपाया हुआ था तथा मुझे केवल बयानकर्ता का अंगूठे का निशान दिखाया था। इस कार्यवाही के बाद मैंने बयानकर्ता मरीज को देखकर दूसरा सर्टिफिकेट अंगूठे के निशान के नीचे बनाया जिस पर मैंने यह लिखा कि बयान के दौरान पीड़िता होश में थी । मेरे बाद वाले सर्टिफिकेशन और हस्ताक्षर काले पेन से मेरे हस्तलेख में लिखा हुआ है, जिनकी मैं शिनाख्त करता हूं। मेरे हस्ताक्षरों को पूर्व में 'बी' बिन्दु से चिन्हित किया गया, जिसकी मैं शिनाख्त करता हूं । मजिस्ट्रेट के साथ उनका अर्दली भी था जो उनका सामान उठाकर साथ चल रहा था और उसी ने अंगूठे का निशान लगाने के लिये स्टाम्प पैड आगे किया था । मजिस्ट्रेट बयान नोट करने के लिये शाम 5:30 बजे के आसपास दिनांक 22.09.2020 को आये थे तथा यह कार्यवाही 20-25 मिनट तक चली थी। पी0डब्लू0-21 डा0 अजीमुद्दीन मलिक ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि दिनांक 14.09.2020 को डा० सायमा व डा० अरूण ने हिस्टी शीट में यह अंकित किया था कि मरीज या उसके परिजन ने यौन उत्पीडन के बारे में नहीं बताया था। दिनांक 21.09.2020 को मैंने पीडिता को नहीं देखा था। दिनांक 22.09.2020 को मैंने पीडिता को देखा था । दिनांक 22.09.2020 को मुझे यह नहीं लगा था कि पीडिता मरणासन्न अवस्था में है व उसकी मृत्यु हो सकती है। यह बात मैंने सुनी है कि पीडिता ने यौन उत्पीडन के सम्बन्ध में पहली बार अस्पताल स्टाफ को दिनांक 22.09.2020 को ही बताया था। शायद उसी दिन दिनांक 22.09.2020 को पीडिता / मृतका का यौन उत्पीडन से सम्बन्धित जाँच हुई थी । आज न्यायालय में प्रदर्श क -15 में पीडिता का बयान जो मजिस्टेट के हस्तलेख में लिखा हुआ है, उसकी Line spacing के अन्तर के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता हूँ। साक्षी पी0डब्लू0-22 डा० गौरव वी. जैन, प्रोफेसर फारेंसिक मेडिसिन, सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि मैं दिनांक 29.09.2020 को बतौर प्रोफेसर फारेन्सिक विभाग सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली में कार्यरत था । उस दौरान ए०एस०आई० शैलेन्द्र लाकड़ा द्वारा सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता की मृत्यु के बाद उसके पोस्टमार्टम के अनुरोध के साथ सम्बन्धित दस्तावेज दिये थे । औपचारिक अनुरोध प्राप्त होने के बाद हमारे विभाग के विभागाध्यक्ष ने तीन डाक्टरों की टीम बनायी जिसमें मैं भी शामिल था। मेरे अलावा डा० आदित्य आनन्द एवं डा० अलिफ मुजफ्फर सोफी टीम के सदस्य थे। शव विच्छेदन के लिये बोर्ड गठित होने पर हम तीनों डाक्टर