पृष्ठ:HinduDharmaBySwamiVivekananda.djvu/८०

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हिन्दू धर्म
 

ईश्वर के ऊपर जो हम विश्वास करते हैं, उसका कारण केवल हमारी जबरदस्त दलीलें या तर्क-युक्तियाँ ही नहीं हैं; बल्कि ईश्वर के अस्तिस्व के विषय में हमारा एक और सर्वोच्च प्रमाण है, और वह यही है कि हमारे यहाँ के प्राचीन तथा अर्वाचीन सभी पहुँचे हुए लोगों ने ईश्वर का साक्षात्कार प्राप्त किया है। आत्मा के अस्तित्व को प्रमाणित करने के लिये हमारे यहाँ जो अकाट्य और दृढ़ युक्तियाँ हैं, केवल इसी के लिये हम आत्मा के अस्तित्व पर विश्वास करते हों, सो बात नहीं; बल्कि हमारे विश्वास का प्रधान आधार यह है कि प्राचीन काल में भारतवर्ष के हजारों व्यक्तियों ने आत्मा के प्रत्यक्ष दर्शन किये हैं, और आज भी यदि ढूंढा जाय, तो कम-से-कम दस आत्मदर्शी तो अवश्य ही मिल जायँगे। और, भविष्य में भी ऐसे हजारों आत्मदर्शी होंगे। जब तक मनुष्य ईश्वर के दर्शन न कर लेगा, जब तक आस्मा के दर्शन न कर लेगा, तब तक उसकी मुक्ति होनी असम्भव है। अतएव, सबसे पहले, हमें इस विषय को भलीभाँति समझना होगा, और हम लोग इस विषय को जितना ही अधिक समझेंगे, उतना ही हमारे यहाँ की साम्प्रदायिकता घटती जायगी; कारण, जिसने ईश्वर के दर्शन पाये हैं--उनका साक्षात्कार प्राप्त किया है--वही सच्चा धार्मिक व्यक्ति है।

"भिद्यते हृदयग्रन्थिश्छिद्यन्ते सर्वसंशयाः।
क्षीयन्ते चास्य कर्माणि तस्मिन् दृष्टे परावरे॥"

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