पृष्ठ:Kabir Granthavali.pdf/५२९

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है, बह सर्वथा शुध्दात्मा बन जाता है |इडा , पिंगला और सुषुम्ना, जिन्हे गंगा, बंकनाल एवं अवधूती भी कहते है- के सगम मे अपने-अपने अंगो को धोलो ।इसमे तेरे समस्त पाप धुल जाऐगे ।

    अलंकार-रुपक-ग्यान ह्ष्ट,निंह्कर्म जल,
     विशेष- बाहा कर्म-काण्ड को व्यर्थ बताकर योग साधन की मह्त्ता का

प्रतिपादन किया गया हे । कबीरदास के ऊपर नाथ-सम्प्रदाय की साधना का स्पष्टतः गहरा प्रभाव दिखाई देता है ।

    (२) इडा को गगा कहा है । सुषुम्ना को बकनाल या पश्चिम दिशा भी

कहते है । सुषुम्ना को अवधूती या बालरडा तपस्विनी भी कहा गया है ।१- ६ वी पक्ति कबीरदास का अभिप्राय इडा पिगला ओर सुषुम्ना के सगम से है । क्थन मे कुछ दुषऋमत्व दोष आगया है ।

                      (३६२)
      भजि नारदादि सुकादि बंदित,चरन पंकज भांसिनी ।
      भजि भजिसि भूषन पिया मनोहर,देव देव सिरोवनीं ॥टेक॥
      बुधि नाभि चदन चरचिता,तन रिदा मदिर भीतरा ।
      रांम राजसि नन बानी, सुजान सु दर सुंदरा ।
      बहु पाप परबत छेदनां, सौ ताप दुरिति निवारणां ।
      कहै कबीर गोक्ष्यद भजि, परमांनंद बंदित कारणां ॥

शब्दाद्र-भामिनी = सुन्दर स्त्री (जीवात्मा),छेदणा = नष्ट करने वाले । दुरित = सकट । निवारणा = दूर करने वाले । कारणा= कारणभूत, उत्पत्ति के कारण । भूषन पिया = लक्ष्मी ।

      सन्दभृ-कबीर भगवद भजन का उपदेश देते है ।
      भावाथृ - री आत्मा सुन्दरी, नारद इत्यादि मुनि तथा शुकदेव इत्यादि ऋतियों के द्वारा वन्दित भगवान के चरण-कमलो का भजन कर  । लक्ष्मी के ह्र्दय 

के आभूषण एव अत्यन्त मनोहर तथा सम्पूर्ण् देवताओं के सिर पर मणि के समान शोभा देने वाले इन चरणों का भजन कर । चन्दन से चर्चित वुध्दि-रुपी नाभि तथा शरीर एव ह्र्दय-रुपी मन्दिर मे विराजमान आत्मारुपी राम सुशोभित हो रहे है । राम अत्यन्त ज्ञानी है । वह अपने सुन्दर नेत्रो एव वाणी से सुशोभित है तथा सुन्दरो में भी सुन्दर है अथवा सुन्दरो की सुन्दरता है । वह सम्पूर्ण पापो के पहाडो को नष्ट करने वाले है तथा संसार के कष्टों एव संकटो को दूर करने वाले है । कबीर कहते है, तू उन गोविंद का भजन कर जो परमानद स्वरुप है तथा सृष्टि के उत्पत्ति कारणो ( मृष्टि के उत्पादक तत्वों ) द्वारा वन्दित है ।

   अल्कार - (१) रुप च्ररण पंकज, वुवि-नाभि तन रिदा मन्दिर ।
           (२) गभग पद यमक - भजि भजिसि ।
           (३) यमक - देव देव ।