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पृथ्वी और ईथर का सापेक्ष गति
प्रकाश के विपथन की व्याख्या करने के लिए फ्रेनल (Fresnel) द्वारा यह माना गया कि ईथर माध्यम पृथ्वी की तरह वार्षिक गति नहीं करती, इसका अर्थ यह हुआ कि अपना ग्रह इस माध्यम के लिए पूर्णतः पारगम्य है। बाद में स्टोक्स (Stokes) ने यह व्याख्या दी कि ईथर को पृथ्वी द्वारा अपने साथ कर्षण (घसीटा) किया जाता है और इसी से पृथ्वी के पृष्ठ के निकट प्रत्येक बिन्दू पर ईथर की गति, पृथ्वी की गति के समान होती है।
इन्हीं सिद्धान्तों पर मैंने कुछ वर्ष पूर्व व्यापक रूप में काम किया है।[१] मुझे यह देखने को मिला कि इसकी व्याख्या करने वाली अन्य विधायें, जिनमें उपर उल्लिखीत के मध्य में गिना जा सकता है, वो कम या अधिक झूठ दिखाई देती हैं। इसी कारण से वो इतनी सरल नहीं हैं और वो कम ध्यान देने योग्य हैं। इन दो चरम विचारों में से मेरे अनुसार स्टोक्स की व्याख्या को निरस्त किया जा सकता है क्योंकि उसमें वेग प्रवणता की आवश्यकता होती है जो पृथ्वी और इसके सलंग्न (निकटवर्ती) ईथर के वेगों के मध्य असंगत है।
दूसरी तरफ, सभी ज्ञात घटनाओं को फ्रेनल के सिद्धान्त से समझाना सम्भव है, यदि हम पारदर्शी विचारणीय पदार्थ के लिए फ्रेनल द्वारा दिये गए "कर्षण गुणांक" को मानते हैं। मैंने हाल ही में इसके (कर्षण गुणांक) मान को प्रकाश के विद्युत्चुम्बकीय सिद्धान्त व्युत्पन्न किया था।[२]
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