पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१०३

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सच्चे खिष्टियान को आत्मिक गति । ६१ एकानवेवां गीत । 7s. . १ ईसा मेरे जानी दोस्त अांधी चलती है बजार तेरे पास मैं भागता हूं मौज उठती हैं बशोर जब तक चले यह तूफान मेरो गाड़ हो खाविन्दा आखिर त सलामती से मेरा बेड़ा पार लगा ॥ २ मेरो है त जाए पनाह मेरी जान तू रख बेडर तू न तनहा मुझे छोड़ मेरी ख़ातिर जम कर मेरा त भरोसा है मेरा हामी से खुदा तले अपने परों के अपने बंदे का वचा । ३ बे कुछ मुझे हो दरकार तुझ में है मौजूद तमाम तू मुझ थके मांदे को बारबरदार को देनाराम