पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१०५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सच्चे खिष्टियान को आत्मिक गति । (9 8 मेरे ३ बरें अज़ीज़ त अपना खन हर वक्त मुअस्सिर कर जब तक तेरे खरीदे सब न पाए वाप के घर में गुनाह तू धोवेगा से ईसा सरासर और तेरे रह्म की तारीफ मैं करूं उमर भर ॥ ५ फिर मरते वक्त जब यह जुबान ज़मीन पर होगी बन्द तव तेरे नाम को करूंगा यासमान पर मैं बुलन्द ॥ १३ तिरानवेवां गीत । 7.6s. १ अपने गुनाह मैं डालता खुदा के बरें पर वह सब ही को उठाके ले जाता सरासर मैं दिल का नजस लाता मसीह वह धोवेगा वह अपने लहू पाक से हर दाग़ को खावेगा ॥