पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१०९

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सच्चे खिष्टियान को यात्मिक गति। १०१ २ प्रभु तेरा जस हम गाते दुखी हो हम गाते हैं अपने पत के गुन सुनाते नांम से सुनाते हैं सेगी और वियोगी हाके देख कलीसया रोती है कि वह अपने पत के लिये सदा दुखित होती है। ३ सच कलीसया है सुहागन उस का पत तो जीता है उस का भाग भी है प्रफुल्लित कुछ कुभाग न वीता है किन्तु उस ने अपने गहने विरह में उतारे हैं दुःख और कुड़हन में रहेगी क्योंकि पत पधारे हैं। 8 हे मसीहा प्रिये प्रभु तेरी मंडली हे प्राननाथ जव तक तू न लौटके आवे तेरी और पसारती हाथ जगत होता है अंधेरा हम पर करता है अंधेर तिस से तेरी दुल्हिन कहती पाने में न कोजिये देर ॥