पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/११७

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सच्चे खिष्टिपान की यात्मिक गति । १०४ 8 सच मैं तो हूं अधर्मी और मनमलीन कुकर्मी पर तेरे पांव पर पड़ता हूं। धन प्रभुत है मेरा और मैं भी सदा तेरा है ईसा रदंगा और तेरी बड़ी दया जो तेरा दास मैं भया सा स्वर्ग में गाया करंगा n १०२ एक सौ दूसरा गीत । मैं मुसाफिर और मैं परदेसी मैं सिर्फ रात भर टिकने का मैं जलदी जाऊं क्यों करूं देरी आसमान पर जगह तैयार है मरी मैं मुसाफ़िर और मैं परदेसी मैं सिर्फ रात भर टिकने का । है उस देस में रोश्नी हमेश: उस को देखने चाहता हूं कि इस परदेस में दिल है रंजीद: दौड़ धूप उठाके मैं ग़मदीद: मैं मुसाफ़िर और मैं परदेसी मैं सिर्फ रात भर टिकने का।