पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१२९

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सच्चे खिष्टियान की नात्मिक गति । १२१ ॥ यह तन का मन ग्रास न कीजे . होगा धूल धूल जबलग जीवन है मन जगमों . तभी तलक मन फूल ॥ सुन रे अासी मन चित देके . यीश है जग मल 1 ११३ एक सौ तेरहवां गीत । मल्लार बिन । कौन करे मोहि पार तुम दीनदयाल दयामय स्वामी . दुःख सुख पालनहार ॥ नर अपराधी कैसे तरिहे . दारुन भव नद धार ॥ माया जल निधि केवट कामा इछा धरे पतियार ॥ तृष्णा तरंग पवन उठावत . पाल हंकार ॥ माह जलधर गरजन लागे . छदम लियो करुवार ॥ कामिनि दामिनि ऐसी चमकत . महरत नैन निहार ॥ मासा लंगर तोहिपर बान्हा . तुमही मम कडिहार ॥ जान अधम बड़त भव अर्नव . कोउ न आवत कार ॥ कपट - ११४ एक सौ चौदहवां गीत । प्रभु यीश दरशन दीजे जो माहे शरन अपना लीजे जी ॥ ।