पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१२८

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१२० सच्चे खिटियान की अात्मिक गति । १११ एक सौ ग्यारहवां गीत । क्यों मन भूला यह संसारा. मन मत दे टुक कर ले गुज़ारा ॥ इस जग में सुख नित नहि भाई. यह तो है जैसे पानी की धारा ॥ मात पिता और खेश कुटुंब सव. संग नहीं कोई जावनहारा । अंत समय सब देखन अइहे. छन भर में सब वेद नियारा ॥ जो कुछ अंग में होगा तुम्हारा. वह भी सब मिल लैहै उतारा ॥ नरक अगिन में जब तुम पड़िहा. तव नहि काई बचावनहारा ॥ भाई मुकत की खोज करो तुम. यीशु मसीह प्रभु तारनहारा ॥ आसी तो प्रभु दास तुम्हारा, तुम बिन नाहीं कोई हमारा ॥ ११२ एक सौ बारहवां गीत । गौरी अरे मन मल रहा जगमों . अरे मन भल ॥ यह जग तो मन छोड़ चलोगे . योश को मत भूल ॥