पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१३६

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प्रार्थना और इबादत। २ जो है प्रतिदिन की रोटी सा प्राज भी हमें दे हम से अपराध जो हुए क्षिमा कर तू कृपा से जैसे हम भी क्षिमा करते नारों के । ३ न परीक्षा में डाल हमें किन्तु बुरे से बचा क्योंकि राज और सब पराक्रम तेरा है और महिमा सदाकाल लों आमीन ऐसा होवेगा। १२५ एक सौ पचीसवां गीत । L. M. १ हे प्रभु मन घमा और प्रार्थना करने का ठहरा मन मेरा डोलता बेठिकान कभी न होता एक समान ॥ २ ज्यों पानी में जब स्थिरता हो मैं देखता स्वर्ग के सूरज का त्यों मन जव स्थिर हो जाता है तब तेरा मुंह दिखाता है।