पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१५७

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मृत्यु और स्वर्गलोक । १४ तू अजल से है से खुदा और अबद तक भी रहेगा। जब तू से रव्व फरमाता है इनसान जहान में आता है और जिस वक्त बनी आदम को लौट जाने का फिर हुक्म हा ज्यों बनाता है त्यों खाक मैं फिर मिलाता है। खाक से ३ तेरी निगाह में साल हज़ार ज्यों कल के दिन का है शुमार है पहर रात हो की मिसाल तेरे नजदीक हज़ारों साल इनसान को तू उठाता है और फिर बहा ले जाता है। ४ देख नोंद सी है यह ज़िन्दगी हम सब हैं मानिन्द घास ही को सवेरे लहलहाती है और शाम को फिर मुरझातो है जिस हाल में सब कुछ बेकरार तू हम कर वेदार॥