पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१६५

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मृत्यु और स्वर्गलोक। १५७ १५१ एक सौ एकावनवां गीत। १ पंख अगर होते तो उड़ जाता दूर दूर दूर हो दूर दूर दूर ही जां काली घटा स पिता न नर दूर दूर ही दूर दूर दूर ही दूर फूल हैं उस अदन में सदा बहार खुश ताजे बाग में है पानी को धार दिल में सब पाक हैं और योशिश ताबदार हो दूर दूर दूर ही दूर २ दोस्त वहां मिलके न जानेगे ग़म ही एक घर रहेंगे एक दिल हो हर दम ही सोने का शहर और नदी शफाफ मोती के दर से जलाल हे क्या साफ करने बयान से जुबान है मुलाफ ही दूर दूर ही ही दूर ॥ ३ सुनो क्या गाते हैं बरबतनवाज़ आओ जल्द आओ आओ जल्द आओ दुनया है फ़ानी जल्द होगी गुदाज़ आओ जल्द आओ माओ जल्द आओ