पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१७०

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१६२ मृत्यु और स्वर्गलोक। १५५ एक सौ पचपनवां गीत । C. IT. १ यरूसलम ऐ शहर पाक अजीज़ है तेरा नाम मैं तुझ कब पहुंचंगा और पाऊंगा पाराम । ३ तेरे दरवाजे माती हैं दीवारें हैं बुलंद सड़क हैं खालिस माने की और शहर दिलपसंद। ३ तेरी बारगाह शाहाना में मैं पहुंचं किस पान इबादत वहां दाइम है और सबत है हर जमान । ४ त अदन खुशनुमा हमेशा खुशबहार यरूसलम का दूर ही से मैं करता हूं दीदार . ५ पस रंज ओ मौत से डर क्यों कयों हार्ड मैं हैरान मुझे तो घर को जाना है घर मेरा है आसमान ।