पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१७२

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१६४ मृत्यु और स्वर्गलोक। २ जो मकान तैयार वह करता बाकी रहेगा मुदाम अपने मुंजो पास पुरखुशी रहूंगा मैं बदवाम थके को वां आराम है। ३ उस मुबारक मुल्क में मौत का हावेगा न नाम निशान उस के मुंतज़िर हम गावे रब्ब की सना हर ज़मान यके का वां आराम है। R १५० एक सौ सत्तावनवां गीत। १ यहां दुख हम सहते हैं मिल एक साथ न रहते हैं बिहिशत् है मेल को जा तब हम करें खुशी खुशी खुशी खुशी जब हम सब ही मिलके जुदा फिर न होवेंगे सब जो चाहते ईसा को से जब उन का मरना हो बिहिशत् को जावेगे तब हम करें खुशी ॥ ॥ २