पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१७६

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भजन। . भवहु पार जाउरे। प्रेम बोहित चढ़ि मना प्रेम अस्त्र बांधि शत्रु : महानहु हराउरे ॥ प्रेम फलनि धर्म ग्रन्थ बार वार गाउरे। प्रेम सदम सुखद सकल जान सर्ब टांउरे ॥ . Son- १६३ एक सौ तिरसठवां गीत। भजन हे ग्रिय बालक काया तुमरी . कौन दयाल बनाई ॥ हड्डी जोड़ कियो जनु ढांचा • ऊपर मांस भराई । सुन्दर चाम सुकामल मढिके . रग रग रूधिर चलाई ॥ १ श्वास लियत अरु डोलत बोलत • गात भयो सुखदाई। अति निर्बल है काया तोहूं . तामें प्रान बसाई ॥ २ जले अगिन में जल में डूबे . शस्त्रनते कटि जाई । कौन रच्यो यह कौन संभालत • पल पल कौन सहाई ॥३ हे प्रिय देह रची परमेश्वर , निशदिन पालत ताई। बिनतो अस नित तासों करिहो . हे प्रिय राखु बचाई ॥ ४ १६४ एक सौ चौसठवां गीत। सवैया दिव अासन सन्मुख ईश्वर के. शत कोटिन पावन दूत खरे हैं।