पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

परमेश्वर की जात ग १५ १५ पन्द्रहवां गीत। 11s. धनवाद १ परमेश्वर के गावें हम गुण और वह है परमात्मा अनन्त और अनाद स्वयंभू परमेश्वर अदृष्ट निराकार है जगत का अधपत और सब का आधार २ सृष्टिकता सर्वरक्षक और सर्वशक्तिमान सर्वज्ञानी पवित्र और न्याई महान वह असम और अगम गुणसागर अपार वह सब का है दाता और त्राणकरनेहार । ३ कौन प्रभु के भेद का कब हुअा सज्ञान मसीहा से प्रगटा परमेश्वर महान कृपाल हा बचाने संसार नररूप धारन करके वह हुआ अवतार ॥ दयाल और ४ पापमोचन और मुक्ति अब ईसा के हाथ मुक्तखोजी को देता हे बाप कृपानाध सो रक्खं हम ईसा पर मन से बिस्वास प्रभु उस के द्वारा दे मुक्ति को पास ॥