पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/२६

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१८ परमेश्वर की जात ग्रा गुण । ६ मेरे दिल पर इस को नकश कर कि हर जा तू हाज़िर है जा मैं वोलता सोचता करता सब का तू ही नाज़िर है॥ - -- 11s. २न उन की १८ अठारहवां गीत। १ आसमान वयान करते खुदा का जलाल और फजा वताती है उस का कमाल हां सुबह और शाम भी और दिन भी और रात दिखाते अलकादिर खुदा की सिफ़ात ॥ जुबान न उन की आवाज़ पर तो भी बजाते सिताइश का साज़ कि खिलकत से ख़ालिक़ का होता बयान वह कादिर र मुतलक हकीम अाली शान n ३ ज़मीन और आसमान पर है रब का कलाम कि सरज और चांद और सितारे तमाम पहाड़ ओ समुन्दर मैदान ओ दरया सब कहते हैं खालिक है कादिर खुदा ॥ ४ देख दुल्हे को मानिन्द है सूरज तैयार निकलता है परव से हो रौनकदार और पच्छिम का करता है गरदिश तमाम और छिपा है उस से न कोई मुकाम ।