पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/७३

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सुसमाचार । २ इस बात को बिचार करो भलियो मत कि अंतकाल में होगी तुम्हारी क्या गत ॥ हम सकल अपराधी हैं मन के मलीन अज्ञान्ता के बस में और के अधीन दीनबन्धु दीननाथ दीन के कृपानिधान मसीह दयासिन्धु से जगत का त्रान ॥ ३ जो पाप से पछतावे जी जान से उदास और ईसा मसीह पर जो करे विस्वास सो उसी से पावेगा सच्चा निस्तार कि तारेगा उसे मसीह तारनहार ॥ ४ हे भाइओ पाओ मत करो बिलभ सब दुखी संतापी यह देखो अचंभ कि प्रभु के मरण से पापों की छय और पापों की छय से है प्रभु ५ जो आबेगा पावेगा मुक्ति का धन कंगाल वह न रहेगा धनी वह जन कि ईसा के जितने बिस्वास करनेवाल हैं मुक्ति के भागी जुग जुग सदाकाल । की जय ॥