पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/८०

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१२ सुसमाचार। पाई सब कुछ भल सतसंग किया ज्ञान भी पाया ज्ञान सुनाया ज्ञानी को शैतानी पूजा तब यज़दानी को । ३ शास्त्र वेद पुरान की बातें पंडितों की बानी से सुनी मैं ने बहुतेरी मानी भी नादानी से पर जब अांखें मेरी खुलों रब्ब की मिहरवानी से राहर नजात को मैंने पाया तब कलाम रब्बानी से ॥ ४ मेरे दिल त छोड़ दे आसा गुर्वा शुर्फः दानी का उकबा वास्ते सब बेफाएदः इल्म और ज़ोर जवानी का मेरे दिल ही खुश छोड़ ज़िन्दान हैरानी का ले मसीह से जलद् तू तुहफ: ज़िन्दगो गैरफानी का ॥ नो खुर्रम