पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/८१

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सुसमाचार। ७३ ६८ अठसठवां गीत। 7s. १ से खुदावन्द मदद दे मेरा बोझ गुनाह का ले मुझ लाचार की अारज पर अपना कान मसीहा धर ॥ २ श्रागे झठ का मानता था बलकि यह भी जानता था जो सवाव कमाते हैं सा नजात को पाते हैं। ३ अब मैं जानता मेरा काम अवस है और नातमाम उस की नास है भल की वात खाली फ़ज़ल से नजात ॥ 8 ईसा यास तू मेरी है हां दुहाई तेरी है बदी मेरी माफ करवा ताक़त नेकी की दिलवा ।