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ज्ञानयोग


शासन करने को यदि कोई न रहे तो हम अपना जीवन किस तरह बिता सकते हैं? सच बात तो यह है कि हमें इस प्रकार का व्यवहार अच्छा लगता है। इस भाव से रहना हमारा अभ्यास हो गया है और इसीलिये हम ऐसे जीवन को पसद करते है। प्रति दिन यदि हमें किसी ने नहीं डॉटा तो हमे सुख नहीं मिलता। यह वही कुसंस्कार है। किन्तु अब यह बात कितनी ही भयानक क्यों न मालूम हो, ऐसा एक समय अवश्य ही आयेगा जब अतीत की सारी बातों का स्मरण कर, जिन कुसंस्कारों ने शुद्ध अनत आत्मा पर आच्छादन फैला दिया था, हम उन प्रत्येक की हॅसी उड़ायेगे और आनन्द, सत्य व दृढता के साथ कहेगे कि मै ही 'वह' हूॅ, चिरकाल वही था और सर्वदा वही रहूॅगा।



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