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यह गली बिकाऊ नहीं/137
 


सारा समाचार स्ट्रेयिट्स होटल के स्वागत कक्ष में ही मिल गया था।

रिसेप्शनिस्ट से सारी बातों का पता लगाकर, गोपाल किस प्राइवेट नसिंग होम में में भरती है, वहाँ का पता-ठिकाना लेकर दोनों रेड्डियार की ही कार में उस अस्पताल को चल पड़े।

नर्सिंग होम माऊंटबेटन रोड पर था। जब वे वहां पहुंचे, तब मंडली के अन्य ‘कलाकार और कर्मचारी झुंड के झुंड लौट रहे थे। उस दिन शाम को नाटक हो कि न हो वे सब इसी अधेड़बुन में पड़े थे। वे आपस में यही कहते हुए सुनायी दे रहे थे कि गोपाल के पैर में 'फ्रेक्चर' हो जाने से उस दिन का ही नहीं, दूसरे दिनों के नाटक भी रद्द कर दिये जायेंगे। साथ ही टिकट खिड़की पर खासी वसूली होने और बाद के टिकटों की बिक्री तथा थियेटर के किराये पर लेने से अब अब्दुल्ला फ़िक्र में पड़े थे कि नाटकों का मंचन रद्द किये जाने पर उसे बहुत धाटा उठाना पड़ेगा !

गोपाल के पैर पर मरहम और पट्टी लगाकर उसे बिस्तर पर लिटा दिया गया था । नींद की गोली देने से वह गहरी नींद में था।

"छोटा-सा फ्रेक्चर है ! एक हफ्ते में ठीक हो जायेगा । फ़िक्र की कोई बात नहीं है !" डॉक्टर अब्दुल्ला को बता रहे थे। अब्दुल्ला और उदयरेखा चिंतित खड़े थे।

"इसने सारा गुड़-गोबर कर दिया ! ईप्यो में ही मुझे भारी घाटा उठाना पड़ा है। मैंने सोचा कि क्यालालम्पुर में उसे 'मेक अप' कर लेंगे। सातों दिन की हैवीं बुकिंग है यहाँ !" अब्दुल्ला ने रुआंसा होकर माधवी से कहा ।

चोट खाए हुए पर बिना किसी हमदर्दी के, उसका इस तरह बकना माधवी और मुत्तुकुमरन् को अच्छा ही नहीं लगा । मुत्तुकुमरन् को तो गुस्सा ही आ गया। "अपने पैसों का रोना क्यों रोते हो? नाटक मुख्य है। उसकी फ़िक्र तुम न करो। ठीक समय पर मंचन शुरू होगा। छः बजे थियेटर में आ जाना । अब जाओ !" मुत्तुकुमरन् ने धीर-गंभीर शब्दों में कहा ।

"वह कैसे होगा भला?" अब्दुल्ला ने शंका प्रकट की।

"अपना रोना-धोना बन्द करों । नाटक होगा, जरूर होगा। तुम सीधे थियेटर आ जाना ! पर इस बात का ख्याल रखना कि आज शाम के किसी भी अखबार में यह छाने न पावे कि गोपाल का पैर जख्मी हो गया है !" मुत्तुकुमरन् ने ऊँचे स्वर में कहा तो अब्दुल्ला की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी।

माधवी समझ गयी कि मुत्तु कुमरन् की क्या योजना है ? उसे इस बात की खुशी हो रही थी कि अब मुत्तुकुमरन् कथानायक की भूमिका करने वाला है। मुत्तुकुमरन् इस बात से खुश हो रहा था कि माधवी के साथ भूमिका करने का उसे सुयोग मिल रहा है।

माधवी उसकी समयोचित बुद्धि और धैर्य से स्थिति पर नियंत्रण की सामर्थ्य